अब तक निदेशक की पोस्टिंग नहीं, स्टेशन में अव्यवस्था
तत्कालीन अफसर के तबादले के बाद से यही स्थिति।
बिलासपुर स्टेशन में निदेशक के पद पर अब तक पोस्टिंग नहीं हुई है। रेल प्रशासन इस पोस्ट को लेकर ध्यान भी नहीं दे रहा है। इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पा रही हंै। इसके अलावा अन्य विभागों पर लगाम नहीं है। निदेशक के रहने से इस तरह की परेशानी नहीं रहती।
जोनल स्टेशन में निदेशक का पोस्ट में स्वीकृत हुआ। यह रेलवे बोर्ड का निर्देश था। इसके पीछे मुख्य वजह रेलवे स्टेशन की व्यवस्था को बेहतर करना था। यहां बिलासपुर स्टेशन में पहले निदेशक के रूप में किशोर निखाने की पोस्टिंग की गई। लेकिन बाद में उनका प्रमोशन और तबादला हो गया। उनके जाने के बाद रेल प्रशासन ने नए निदेशक की पोस्टिंग ही नहीं की। जोनल स्टेशन दो साल से बिना निदेशक के हैं। ऐसी स्थिति में यहां की व्यवस्थाएं भी लड़खड़ा गई। स्टेशन में सभी विभागों के अधिकारी व कर्मचारी रहते हैं। जिनकी जवाबदारी संबंधित विभाग से जुड़ी सुविधाओं को उपलब्ध कराना होता है।
नियमित समीक्षा बैठक होने से छोटी- छोटी समस्याओं को निराकरण हो जाता था। पर अब स्थिति यह है कि टूट- फूट शेड है। पर किसी को इतनी फुर्सत नहीं है कि उसे हटाकर नए शेड लगा सके। यात्रियों को इसमें भीगना पड़ता है। यही स्थिति सफाई को लेकर है। प्लेटफार्म में पहले चमक होती थी। पर अब हर तरह पैरों के निशान और कूडादान में गंदगी से भरा और स्टेशन में गंदगी पसरी रहती है।
इसके अलावा स्टाल संचालकों को पर लगाम नहीं है। सबसे लचर व्यवस्था कमर्शियल विभाग की है। यहां की व्यवस्था परखने के लिए किसी अधिकारी को फुर्सत नहीं है। जबकि यात्रियों को सबसे ज्यादा स्टाल की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा जनरल टिकट काउंटर, आरक्षण केंद्र सभी कमर्शियल विभाग के अंतर्गत आता है। यहां बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए। पर वर्तमान में अव्यवस्था ही चारों तरफ नजर आ रही है।