Health Tips : विदेशी भोजन पद्धति हमारे लिए बेहतर नहीं, स्वास्थ्य के लिए हो सकती है हानिकारक
Health Tips : आहार व पोषण विशेषज्ञ विनीता जायसवाल का कहना है कि खाना खाने के बाद चाय-काफी का सेवन नहीं करें, चाय-काफी दूध की पूर्ति नहीं कर सकते, मूंगफली, तिल और सरसों का तेल हमारे लिए बेहतर।
Health Tips : वर्तमान में लोगों में मोटापा, मधुमेह की समस्या बढ़ी है। पोषण तत्वों की कमी के चलते शरीर में कई तरह के विकार, कमजोरी और रोग की संख्या भी बढ़ी है। बढ़ते रोग की बड़ी वजह भोजन में पोषक तत्व की कमी, संतुलित भोजन नहीं करना, जंकफूड का सेवन, रेडी टू इट के सिद्धांत को अपनाना, शारीरिक श्रम नहीं करना है।
आहार व पोषण विशेषज्ञ विनीता जायसवाल के अनुसार, भारतीय प्राचीन भोजन पद्धति सेहत के लिए बहुत कारगर है लेकिन आज हम इसे छोड़ते जा रहे हैं। लोगों में प्रोटीन और कैल्शियम की कमी भी हो रही है। अक्सर लोग चाय-काफी पीकर यह समझते हैं कि उनके शरीर में पर्याप्त मात्रा में दूध गया लेकिन इसका कोई लाभ नहीं होता। चाय और काफी बेशक दूध की ही बनाई जाए, लेकिन उसमें कैफिन शामिल होने से दूध के पोषक तत्व अवशोषित नहीं हो पाते और वह सेहत को लाभ नहीं पहुंचाते। इसके अलावा पोषणयुक्त भोजन के बाद यदि चाय-काफी पी ली जाए तो उस भोजन के पोषण तत्व भी शरीर अवशोषित नहीं कर पाता।
विदेश में ऐसे होता है आलिव आइल और ब्रेड का इस्तेमाल – कुछ लोग सेहतमंद रहने के लिए पाश्चात्य भोजन पद्धति अपनाते हैं जो कि हमारे देश की भौगोलिक परीसि्थति, शारीरिक संरचना और कार्यशैली के अनुरूप नहीं। जैसे आलिव आइल का सेवन, विदेश में उसे बगैर गर्म किए इस्तेमाल किया जाता है जबकि हम उसे गर्म करके उपयोग में लाते हैं जो कि गलत है। ब्रेड का उपयोग विदेश में जरूर होता है लेकिन उसके साथ मांस और सलाद का सेवन कर प्रोटीन, विटामिन और फायबर की पूर्ति की जाती है।
ये तेल करें इस्तेमाल – बात अगर तेल की ही करें तो हमारे देश की भोजन पद्धति के अनुरूप बनने वाले भोजन में मूंगफली, तिल, सरसों और सूरजमुखी के बीज के तेल का उपयोग किया जाना चाहिए। इसमें से तिल, मूंगफली और सरसों का तेल सबसे बेहतर है। वसा के रूप में घी का सेवन सर्वोत्तम है। तेल बार-बार गर्म करके उपयोग में लाना भी सेहत के लिए हानिकारक होता है। इसलिए बाजार में मिलने वाले कचौरी, समोसे, आलूबड़े, सेव आदि का सेवन हानिकारक होता है।