Mahakal Corridor: सनातन धर्म का आदि-वैभव दिखाएगा उज्जैन में बना भव्य महाकाल कारिडोर

Mahakal Corridor: 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहुंचेंगे उज्जैन, ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र में बना कारिडोर करेंगे लोकार्पित। वेद, पुराणों में वर्णित भगवान महादेव के विविध स्वरूपों को कारिडोर में निर्मित विराट प्रतिमाओं में प्रदर्शित किया गया है।

 

 ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर की नगरी उज्जैन में 11 अक्टूबर से सनातन धर्म का आदि-वैभव दिखाई देगा। यहां महाकाल मंदिर क्षेत्र में 316 करोड़ रुपये की लागत से नए, भव्य और अद्भुत सौंदर्य से परिपूर्ण महाकाल कारिडोर का प्रथम चरण तैयार हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 अक्टूबर को श्रद्धा, आस्था, भक्ति व भव्यता के इस प्रतिमान को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। महाकाल विस्तार प्रोजेक्ट की कुल लागत 750 करोड़ रुपये है।

कारिडोर का नाम धर्म, संस्कृति के अनुसार रखे जाने को लेकर मध्य प्रदेश सरकार विद्वानों से विचार-विमर्श कर रही है। मुख्यमंत्री श‍िवराज सिंह चौहान कारिडोर की योजना बनने से लेकर इसके तैयार होने के बीच कई बार उज्जैन पहुंचे और गहन रुचि लेकर इसका निर्माण संपन्न करवाया। पुराणों में वर्णित रुद्रसागर के किनारे बना यह नयनाभिराम कारिडोर सनातन धर्म की विशेषता, वर्तमान भारत सरकार की जीवटता और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प का नया प्रतिमान है।

जीवंत हो उठेगा हजारों वर्षों का धर्म-इतिहास

वेद, पुराणों में वर्णित भगवान महादेव के विविध स्वरूपों को कारिडोर में निर्मित विराट प्रतिमाओं में प्रदर्शित किया गया है। त्रिपुरासुर का वध करते महादेव, मौन साधना करते सप्त ऋषि, कमल कुंड में विराजित भगवान श‍िव, गणेश को लाड़ लड़ाती मां गौरी, भगवान कार्तिकेय आदि की धार्मिक कहानियां कहतीं 200 से अध‍िक मूर्तियां व भित्ति चित्र (म्यूरल) बनाए गए हैं। समूचे कारिडोर में 108 स्तंभों में महादेव के आनंद तांडव को दर्शाया गया है। भव्य प्रवेश द्वार पर नंदी की विशाल प्रतिमाएं विराजित हैं। 20.23 हेक्टेयर क्षेत्र में बने इस कारिडोर का कण-कण भारत-भूमि के हजारों वर्ष प्राचीन धार्मिक वैभव की कहानी कहेगा।

काल को चुनौती देता रहा है महाकाल मंदिर

बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल मंदिर का उल्लेख महाभारत, पुराणों व महाकवि कालिदास की रचना मेघदूत में भी है। महादेव यहां स्वयंभू व दक्षिणमुखी विराट श‍िवलिंग स्वरूप में विराजित हैं। शम्सी वंश के आक्रांता शम्सुद्दीन इल्तुतमिश ने वर्ष 1235 में इस मंदिर को तोड़ दिया था। फिर वर्ष 1728 में मराठा शासकों ने मालवा क्षेत्र पर विजय प्राप्त की और 1731 से 1809 तक उज्जैन को मालवा की राजधानी बनाया। इसी कालखंड में महाकाल मंदिर का पुनर्निर्माण कर इसे भव्य स्वरूप दिया गया। अब 11 अक्टूबर, 2022 को विराट कारिडोर के लोकार्पण के साथ ही महाकाल मंदिर को तोड़े जाने की क्रूरता पर सनातन के स्वाभिमान की पुन: विजय होगी।

प्रत्येक प्रतिमा पर क्यूआर कोड

कारिडोर की प्रत्येक प्रतिमा व भित्ति चित्र पर क्यूआर कोड लगाए जाएंगे। इन्हें मोबाइल से स्कैन करते ही श्रद्धालुओं को इनमें वर्णित कथा, कालखंड, इतिहास आदि की संपूर्ण जानकारी मिलेगी।

उज्जैन की तस्वीर बदल जाएगी

महाकाल मंदिर के पीछे बना कारिडोर उज्जैन की भी तस्वीर बदल देगा। महाकाल पथ, महाकालेश्वर वाटिका व पुराणों में वर्णित रुद्रसागर तालाब के आसपास के क्षेत्र को इसमें शामिल किया गया है। इससे महाकाल के दर्शन में आसानी होगी व धार्मिक पर्यटन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को उज्जैन व महाकाल का धार्मिक महत्व जानने को मिलेगा।

दिवाली के पहले मनेगी ‘दिवाली

मध्य प्रदेश सरकार व महाकाल मंदिर प्रबंध समिति 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री द्वारा कारिडोर के लोकार्पण की तैयारी में जोर-शोर से जुटी है। पूरे परिसर को रोशनी, फूलों आदि से सजाया जाएगा। पांच लाख से अधिक घरों में प्रसाद के साथ महाकाल मंदिर व कारिडोर की जानकारी देती पुस्तिका पहुंचाई जाएगी। इस तरह दिवाली (22-26 अक्टूबर) से पहले भी यहां दिवाली जैसा माहौल होगा।

आंकड़ों में कारिडोर

– 750 करोड़ रुपये है महाकाल विस्तार प्रोजेक्ट की कुल लागत। अधिकांश हिस्सा राज्य शासन वहन करेगा।

– दो चरणों में होगा विस्तार, प्रथम चरण में अब तक 316 करोड़ की लागत से तैयार हुआ है महाकाल कारिडोर।

– 920 मीटर है कारिडोर की कुल लंबाई

– 108 स्तंभ स्थापित किए गए हैं, जिन पर वर्णित हैं श‍िव परिवार की कथाएं

– 18 हजार बड़े आकार के पौधे लगाए गए हैं ताकि हरा-भरा रहे कारिडोर

– आंध्रप्रदेश के राजमुंदरी से विशेष रूप से रुद्राक्ष, बिल्व पत्र और शमी के पौधे मंगवाए गए हैं

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