रायपुर साप्ताहिक कालम सेहतनामा: मंत्री की विपक्ष में लोकप्रियता
ज्य के सबसे ऊंचे मंत्री की लोकप्रियता विपक्ष में भी कम नहीं। समय-समय पर यह सिद्ध होता भी रहा है। विपक्षी उनके हक में आवाज उठाते रहे हैं। बात हाल की ही करें तो पिछले दिनों भाजपा की राज्य स्तरीय बैठक में उनके चहेते दिखे।
रायपुर राज्य के सबसे ऊंचे मंत्री की लोकप्रियता विपक्ष में भी कम नहीं। समय-समय पर यह सिद्ध होता भी रहा है। विपक्षी उनके हक में आवाज उठाते रहे हैं। बात हाल की ही करें तो पिछले दिनों भाजपा की राज्य स्तरीय बैठक में उनके चहेते दिखे। जब भाजपा के राष्ट्रीय नेता रणनीति पर मंच को संबोधित कर रहे थे, उस समय पार्टी के दो बड़े नेता राज्य के एक मंत्री की कार्यशैली की प्रशंसा करने में लगे थे।
दोनों नेताओं द्वारा मंत्री का गुणगान करीब बैठे एक अन्य नेता काफी देर से सुन रहे थे। फिर एकाएक कह उठे- आप लोगों का बस चले तो भाजपा में प्रवेश करवाकर उन्हें सीएम का दावेदार ही बना दो। फिर क्या था, सोने पर सुहागा, दोनों नेता तपाक से कह उठे- साहब, हम तो उन्हें छत्तीसगढ़ के अटल जी मानते हैं। जितना सम्मान उनका पक्ष में हैं उतना ही सम्मान विपक्ष में भी है।
बढ़ी उम्मीद
राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को आयुष्मान उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया है, जिससे सिर ऊंचा हो गया है। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत देश में सबसे ज्यादा शासकीय अस्पतालों को पंजीकृत करने और जन आरोग्य योजना में सर्वाधिक महिलाओं के इलाज लेकर राज्य को यह सम्मान मिला। आयुष्मान योजना को लेकर किए गए कार्यों के लिए पूर्व में भी केंद्र सकार ने राज्य को चार राष्ट्रीय पुरस्कार दिया है।
अधिकारियों ने इस पुरस्कार को एक टीम वर्क का नतीजा बताया। दरअसल विभाग जिम्मेदारियों को समझकर शिकायतों व समस्याओं के समाधान की ओर सकारात्मक रूप से आगे बढ़ता रहा। जमीनी स्तर पर सामने आने वाली कमियों व शिकायतों की जानकारी लगते ही निराकरण के लिए पूरी टीम एकजुट हो जाती है। बेहतर कार्यों को लेकर समय-समय पर मिलने वाला सम्मान उत्साह तो बढ़ाता ही है, लोगों के प्रति जिम्मेदारी व लोगों की उम्मीदें भी बढ़ जाती हैं।
लीपापोती में जुटे अधिकारी
स्वास्थ्य विभाग में पद संभालने के बाद अब स्वास्थ्य सेवाओं व व्यवस्था को लेकर स्वास्थ्य संचालक एक्शन मोड पर आ गए हैं। लगातार बैठकें ले रहे हैं, बारिकी से स्वास्थ्य योजनाओं की समीक्षा कर रहे हैं, उसकी रिपोर्ट बनाने में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के भी पसीने छूटने लगे हैं। कड़े तेवर को देखकर कई अधिकारियों में यह डर बना हुआ है कि आधी-अधूरी जानकारी और ठप कार्ययोजना पर वे नाराज ना हो जाएं।
सो, जिम्मेदार अधिकारी फाइलों में लीपापोती करने में भी जुट गए हैं, ताकि उनकी चोरी न पकड़ी जाए। पहले की गई अनियमितता व भ्रष्टाचार की फाइलों को भी ठिकाने लगाया जा रहा है। मंत्रालय में पदस्थ अधिकारियों ने कर्मचारियों को साफ निर्देश दिया है कि संचालक तक ऐसी कोई फाइल न पहुंचे, जिसमें पुरानी गड़बड़ियां हों। स्वास्थ्य सेवाओं में विभागीय कार्य को लेकर संचालक जिस तरह से संवेदनशील हैं, उससे व्यवस्था को बेहतर परिणाम जरूर आएंगे।
आइएएस अफसर की नाराजगी
आंबेडकर अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में इलाज को लेकर की गई अनदेखी पर राज्य के एक आइएएस अधिकारी ने नाराजगी जाहिर की तो सब हक्के-बक्के रह गए। कुछ दिनों पूर्व आंखों के इलाज के लिए अफसर के स्वजन अस्पताल पहुंचे थे। दरअसल उनकी आंखों का आपरेशन किया जाना था। लेकिन जांच के बीच ही वे अस्पताल से इलाज न कराने की बात कहकर निकल आए।
जब स्वास्थ्य अधिकारी ने जानकारी ली तो उन्होंने दबी जुबान वहां की व्यवस्था व अनदेखी को लेकर नाराजगी जताई। जब एक आइएएस अधिकारी के स्वजन के साथ ऐसा हो सकता है तो सामान्य मरीजों के साथ क्या हो सकता है, पूछो मत। चर्चा के बीच नेत्र रोग विभाग के एक डाक्टर कहते नजर आए कि इलाज व वार्डों में राउंड के समय यदि विभागाध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ चिकित्सक कार्यालय में बैठकर गप मारते नजर आते हों, उस विभाग का हाल तो यही होना है।