World Rabies Day : 35 लाख की जनसंख्या वाले इंदौर में एंटी रैबीज टीका लगवाने के लिए सिर्फ एक अस्पताल

World Rabies Day : इंदौर में हर माह तीन हजार से ज्यादा लोग पहुंचते हैं टीका लगवाने, दम तोड़ गई सरकार की घोषणा, दूसरे सरकारी अस्पतालों में नहीं मिलता एंटी रैबीज टीका, इंदौर में सिर्फ हुकमचंद पाली क्लीनिक में लगते हैं ये टीके।

World Rabies Day : 28 सितंबर को जोरशोर से रैबीज दिवस मनाने जा रही सरकार एंटी रैबीज टीके को लेकर कितनी गंभीर है यह इसी से सिद्ध होता है कि 35 लाख की जनसंख्या वाले इंदौर में एंटी रैबीज टीका लगाने की व्यवस्था सिर्फ एक अस्पताल के भरोसे है। हालत यह है कि रोजाना सुबह अस्पताल खुलने से पहले ही यहां मरीजों की कतार लगना शुरू हो जाती है। औसतन हर महीने तीन हजार से ज्यादा मामले यहां आते हैं। यानी रोजाना 100 से ज्यादा। इनमें से 95 प्रतिशत से ज्यादा श्वान काटने के मामले होते हैं। सरकार कई बार घोषणा कर चुकी है कि एंटी रैबीज टीके हर सरकारी अस्पताल में उपलब्ध करवाए जाएंगे, लेकिन यह घोषणाओं सिर्फ कागजों तक ही सीमित रही।

रैबीज एक वायरल इंफेक्शन है। यह लायसा वायरस के कारण होता है। किसी पशु के काटने पर यह वायरस मानव के शरीर में प्रवेश कर जाता है। व्यक्ति का खून जब जानवरों की लार के संपर्क में आता है तो रैबीज का खतरा बढ़ जाता है। यही वजह है कि पशु के काटने पर डाक्टर एंटी रैबीज टीका लगाने की सलाह देते हैं। दिक्कत यह है कि इंदौर में शासकीय अस्पतालों में सिर्फ हुकमचंद पाली क्लीनिक पर ही यह टीका उपलब्ध रहता है जबकि इसे हर शासकीय अस्पताल पर उपलब्ध कराए जाने के आदेश हैं। हुकमचंद पाली क्लीनिक पर पूरे जिले से श्वान काटने के मामले आते हैं।

रैबीज के लक्षण पशु के काटने के वर्षों बाद भी नजर आ सकते हैं। यह वायरस मनुष्य के तंत्रिका तंत्र में पहुंचकर दिमाग में सूजन पैदा करता है। इससे व्यक्ति कोमा में चला जाता है या उसकी मौत हो जाती है। वायरस, त्वचा या मांसपेशियों के संपर्क में आने के बाद रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क तक पहुंच जाता है। वायरस के मस्तिष्क में पहुंचने के बाद बीमारी के लक्षण नजर आने लगते हैं। रैबीज के लक्षणों में पानी से डरना, अनिद्रा मुख्य है। इसके अलावा बुखार, सिरदर्द, घबराहट, बेचैनी, भ्रम की स्थिति, बहुत अधिक लार निकलना आदि भी हैं।

पशु के काटने पर घाव को तुरंत साबुन से धोएं

 

हुकमचंद पाली क्लीनिक के प्रभारी डा. आशुतोष शर्मा का कहना है कि किसी पशु के (श्वान या कोई अन्य) के काटने पर घाव को तुरंत साबुन से अच्छी तरह से धोएं और डाक्टर को दिखाएं। हुकमचंद पाली क्लीनिक पर हर माह तीन हजार से ज्यादा मरीज पहुंचते हैं। अन्य शासकीय अस्पतालों से भी हमारे यहां मरीज रैफर किए जाते हैं। अन्य अस्पतालों में भी एंटी रैबीज टीके उपलब्ध होना चाहिए।

हर शासकीय अस्पताल में उपलब्ध कराएंगे टीके

 

इंदौर के सीएमएचओ डा.बीएस सैत्या का कहना है कि हम सुनिश्चित करेंगे कि हर शासकीय अस्पताल में एंटी रैबीज टीके उपलब्ध हों। इस संबंध में पूर्व में आदेश जारी किए जा चुके हैं। आदेश की अवहेलना हो रही है तो कार्रवाई करेंगे।

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