Navratri 2022: अहिल्या नगरी में होते हैं महाराष्ट्र के साढ़े तीन शक्तिपीठ के दर्शन

Navratri 2022: एक स्थान पर कोल्हापुर की देवी महालक्ष्मी, तुलजापुर की तुलजा भवानी, माहुर की रेणुका देवी और नासिक की सप्तश्रृंगी माता के होते हैं दर्शन। इनकी प्रतिष्ठा इंदौर में ही भक्तों को देवियों के दर्शन सुलभ करवाने की भावना से की गई है।

अहिल्या नगरी में महाराष्ट्र के साढ़े तीन शक्तिपीठ की चार देवियों के दर्शन होते हैं। पलसीकर कालोनी में कोल्हापुर की देवी महालक्ष्मी, तुलजापुर की तुलजा भवानी, माहुर की रेणुका देवी और नासिक की सप्तश्रृंगी देवी के लघुरूप की मूर्तियां विराजित हैं। यहां देवियों के दर्शन-पूजन की परंपरा भी शक्तिपीठ की तरह है। इनकी प्रतिष्ठा इंदौर में ही भक्तों को देवियों के दर्शन सुलभ करवाने की भावना से की गई है।

साढ़े तीन शक्तिपीठ में देवियों के दर्शन के लिए महाराष्ट्र जाने वाले भक्तों को दर्शन-पूजन का लाभ यहां भी मिल सके, इसके लिए वर्ष 2009 में देवियों की प्रतिष्ठा की गई। मान्यता है कि महालक्ष्मी, तुलजा भवानी, रेणुका माता मंदिर पूर्ण पीठ हैं, जबकि सप्तश्रृंगी माता को अर्द्ध शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। यहां भगवान दत्तात्रेय की बैठक मुद्रा वाली मूर्ति भी स्थापित की गई है। चौसठ योगिनियों की मूर्तियां भी हैं। चौसठ योगिनियों को भगवान दत्तात्रेय का उपासक कहा गया है।

विधिवत पूजन और 108 दीपों से आरती
हर गुरुवार चौसठ योगिनियों की 108 दीपकों से आरती की जाती है। प्रति मंगलवार और शुक्रवार साढ़े तीन शक्तिपीठ वाली देवियों का विधिवत अभिषेक-पूजन किया जाता है। चैत्र और शारदीय नवरात्र, गुरु पूर्णिमा और दत्त जयंती उत्सव के समय देवियों का मनोहारी श्रृंगार किया जाता है। महालक्ष्मी का कुमकुमार्चन, सप्तशती पाठ, श्रीसूक्त पाठ भी नियमित तौर पर होता है। नवरात्र के दौरान हजारों भक्त दर्शन लाभ लेते हैं।
यहां भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति के साथ काले पत्थर से बनी चौसठ योगिनियों की मूर्तियां भी हैं। इन्हें भगवान दत्तात्रेय का उपासक कहा गया है। नवरात्र और पर्व विशेष पर देवियों का विधि-विधान के साथ पूजन-अर्चन किया जाता है।
यह जागृत स्थान है। बड़ी संख्या में इंदौर से श्रद्धालु देवियों के दर्शनार्थ महाराष्ट्र जाते हैं। उन्हें यहां माता के उन्हीं स्वरूपों के दर्शन होते हैं। इसके चलते बड़ी संख्या में श्रद्धालु विशेष अवसर पर दर्शन-पूजन के लिए आते हैं।

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