Eat Right Challenge Contest: खानपान शुद्धता की दौड़ में भी खरा उतरेगा देश का सबसे स्‍वच्‍छ शहर इंदौर

Eat Right Challenge Contest: खानपान शुद्धता की दौड़ में इंदौर दूसरी बार देश में नंबर एक होने की राह पर। इसके दिसंबर में आएंगे परिणाम, प्रतियोगिता में प्रदेश के 25 जिले शामिल हुए हैं।पिछली बार इंदौर के अलावा उज्जैन, सागर, जबलपुर आदि शहरों ने बेहतर काम किया था।

 

Eat Right Challenge Contest: जितेंद्र यादव, इंदौर। स्वच्छता की तरह ही खानपान की शुद्धता और गुणवत्ता की स्पर्धा में इंदौर फिर देशभर में खरा उतर सकता है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) की पिछले वर्ष की ईट राइट चैलेंज प्रतियोगिता में इंदौर को देशभर में पहला पुरस्कार मिला था। इस बार भी इंदौर जिस तरह प्रतियोगिता के मापदंडों को पूरा करता जा रहा है, उससे लग रहा है कि ईट राइट चैलेंज-2 प्रतियोगिता का पहला पुरस्कार उसी के पास आएगा

इसके अलावा इंटरनेट मीडिया आउटरीच मापदंड के तहत न्यूनतम 50 हजार इम्प्रेशन होना चाहिए। इसके मुकाबले फेसबुक, टि्वटर और इंस्टाग्राम जैसे इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर इंदौर को 1.65 लाख इम्प्रेशन हासिल हो चुके हैं। एफएसएसएआइ की यह प्रतियोगिता 30 सितंबर तक थी, लेकिन अब यह 31 अक्टूबर तक चलेगी और दिसंबर में इसके परिणाम आएंगे।

 

देशभर में चल रही ईट राइट चैलेंज-2 प्रतियोगिता में मध्य प्रदेश के 25 जिले शामिल हैं। इनमें इंदौर के साथ ही भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर, रीवा, सतना, रतलाम, देवास, धार, खंडवा, बुरहानपुर, दमोह, कटनी, छिंदवाड़ा, सिंगरौली, मुरैना, भिंड, दतिया, गुना, झाबुआ, बालाघाट, होशंगाबाद (नर्मदापुरम) और नीमच शामिल हैं।

 

ये हैं मापदंड

 

ईट राइट चैलेंज-2 की प्रतियोगिता में किसी पूजा स्थल या मंदिर परिसर को साफ-सुथरा रखने और यहां के प्रसाद को शुद्ध तरीके से बनाने के लिए भोग (ब्लेसफुल हाईजीनिक आफरिंग टू गाड) प्रमाण-पत्र दिया जाना है।

 

मापदंड के तहत हर जिले को अपने यहां पंजीकृत खाद्य निर्माताओं में से 70 प्रतिशत का एफएसएसएआइ में सालाना रिटर्न भरवाना है।

 

– खाद्य सामग्री की जांच के लिए पांच अभियान चलाना है। इसमें हाईरिस्क खाद्य पदार्थों के 31 नमूने लेने हैं।

 

इनका कहना है

प्रतियोगिता में पिछली बार इंदौर के अलावा उज्जैन, सागर, जबलपुर आदि शहरों ने बेहतर काम किया था। स्पर्धा कठिन है, फिर भी हमारी कोशिश है कि मध्य प्रदेश के अधिकतर जिले उत्कृष्ट काम करें। इसके लिए सभी जिलों में प्रशिक्षण दिया गया है और कलेक्टरों को भी निर्देश दिए गए हैं।

 

 

 

 

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