स्वच्छ सर्वेक्षण में विफलता से सबक, वार्ड 58 को जीरो वेस्ट करने के लिए काम शुरू

स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 के परिणाम में नगर निगम अपनी पुरानी रैंकिंग से तीन पायदान लुढ़क चुका है। स्वच्छ सर्वेक्षण में गार्बेज फ्री सिटी श्रेणी के घटक यानी कचरा कलेक्शन और सेग्रीगेशन में नगर निगम पूरी तरह से फेल नजर आया है।

स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 के परिणाम में नगर निगम अपनी पुरानी रैंकिंग से तीन पायदान लुढ़क चुका है। स्वच्छ सर्वेक्षण में गार्बेज फ्री सिटी श्रेणी के घटक यानी कचरा कलेक्शन और सेग्रीगेशन में नगर निगम पूरी तरह से फेल नजर आया है। निगम ने गत जनवरी माह में जीरो वेस्ट वार्ड तैयार करने का दावा किया था, लेकिन उस पर आठ माह बाद अब काम शुरू किया गया है। वार्ड क्रमांक 58 को जीरो वेस्ट वार्ड और गीला-सूखा कचरा अलग-अलग लेने के लिए निगम ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत काम शुरू किया है। इसमें कार्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) फंड की सहायता से जयपुर की एक कंपनी से काम कराया जा रहा है।

इस वार्ड में नगर निगम ने नए माडल पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके तहत वार्ड में अब चार के बजाय कचरा कलेक्शन के लिए आठ गाड़ियां लगाई गई हैं। इस वार्ड में सभी घरों से कचरे का कलेक्शन नहीं हो रहा था। ऐसे में वार्ड का रूट मैप तैयार कर जीआईएस मैपिंग की गई है। लोग अभी भी सूखा और गीला कचरा अलग-अलग कर नहीं दे रहे हैं, ऐसे में अब सूखे और गीले कचरे के लिए अलग-अलग वाहन लगाए गए हैं। इन वाहनों के साथ में जयपुर की वीवोइस कंपनी ने अपने वालंटियर लगाए हैं, जो प्रत्येक घर से कचरा कलेक्शन को सुनिश्चित करेंगे। पहले 15 दिन घरों से गीला और सूखा कचरा अलग-अलग वाहनों में लिया जाएगा। इसके बाद अगले 15 दिन के लिए सेग्रीगेटेड कचरे का कलेक्शन ही घरों से किया जाएगा। हालांकि जीरो वेस्ट वार्ड में पहले नगर निगम ने पार्क संवारने, लोगों को वार्ड हीरो बनाने आदि का दावा किया था, लेकिन अब स्वच्छ सर्वेक्षण का रिजल्ट सामने आने के बाद हकीकत का खुलासा हो गया है। ऐसे में अब सिर्फ कचरे को लेकर ही काम कराया जा रहा है।

 

सलाहकार रखने की भी तैयारी-

 

नगर निगम ने स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए इस बार सलाहकार कंपनी नियुक्त नहीं की थी। गत दो वर्षों में सर्वे के दौरान सलाहकार फर्म मौजूद थी, जो दस्तावेजीकरण से लेकर स्वच्छता का एक्शन प्लान तैयार करने में मदद करती थी। यही कारण है कि नगर निगम लगातार टाप 15 में रहा था, लेकिन इस बार 18वें नंबर से संतोष करना पड़ा है। ऐसे में अब दोबारा से सलाहकार कंपनी की नियुक्ति की प्रक्रिया की जाएगी।

 

स्वच्छता मित्रों से करेंगे संवाद-

 

इस मामले में नगर निगम की योजना है कि जिन स्वच्छता मित्रों ने ईमानदारी से मेहनत कर साफ-सफाई व्यवस्था में सुधार किया है, उनसे अब अधिकारी लगातार संवाद करेंगे। उन स्वच्छता मित्रों से ही साफ-सफाई को लेकर फीडबैक और मशविरा भी लिया जाएगा। इसका कारण यह है कि नगर निगम को सबसे ज्यादा नुकसान गार्बेज फ्री सिटी की श्रेणी में ही हुआ है।

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