Diwali 2022: मंदसौर में महालक्ष्मी को पोशाक पहनाने भक्तों को करना होगा 2032 तक इंतजार
Diwali 2022: सबसे खास बात यह है कि पोशाक पहनाने के लिए यहां नाम भी केवल दीपावली के दिन गोधूलि वेला में ही लिखा सकते हैं। अति प्राचीन मंदिर पर दर्शन करने दीपावली पर काफी दूर दूर से भी भक्त आते हैं। धन तेरस पर भी कई भक्त मंदिर पहुंचे।
Diwali 2022: मंदसौर जिला मुख्यालय से लगभग 28 किमी दूर स्थित सीतामऊ कस्बे में गुप्तकालीन श्री महालक्ष्मीजी का मंदिर है। जहां दिवाली के दिन गोधूलि वेला में पोशाक पहनाने के इच्छुक भक्तों को 2032 की दीपावली तक का इंतजार करना पड़ेगा। यहां अगले 11 साल तक यानि 2031 तक की दिवाली की बुकिंग हो चुकी है। सबसे खास बात यह है कि पोशाक पहनाने के लिए यहां नाम भी केवल दीपावली के दिन गोधूलि वेला में ही लिखा सकते हैं। अति प्राचीन मंदिर पर दर्शन करने दीपावली पर काफी दूर दूर से भी भक्त आते हैं। धन तेरस पर भी कई भक्त मंदिर पहुंचे।
सीतामऊ में स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर पर लक्ष्मी पूजन के दिन 24 अक्टूबर को दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहेगा। यहां श्री महालक्ष्मी के पूजन-अर्चन व दर्शन करने नगर के साथ ही आस-पास से भी काफी लोग पहुंचेंगे। इस मंदिर में दीपावली के दिन ही श्री महालक्ष्मी देवी को पोषाख चढ़ाने के का विशेष महत्व होने के चलते भक्तों की लाइन लगी रहती है। पर नंबर के लिए वर्षों तक इंतजार बना रहता है। अभी भी यहां अगर इस दिवाली पर कोई बुकिंग कराने पहुंचेगा तो 2032 की दीपावली पर नंबर आएगा। 2031 की दीपावली तक की पोशाक पहनाने की बुकिंग हो चुकी है।
मान्यता : आकाश मार्ग से उड़ाकर ले जा रहे थे मंदिर
मंदिर के पुजारी प्रमोद मोड़ ने बताया कि मंदिर को लेकर मान्यता है कि गुप्तकाल में किसी साधक द्वारा आकाश मार्ग से तीन मंदिर उड़ाकर ले जाए जा रहे थे तब सीतामऊ क्षेत्र में तपस्या कर रहे साधु ने अपनी शक्तियों का उपयोग कर इन्हे यही उतार लिया था। इन मंदिरों में व्यास घाटी में स्थित श्री महालक्ष्मीजी मंदिर, राधा बावड़ी मंदिर व नांदिया की बावड़ी स्थित मंदिर शामिल है। तीनों मंदिरों की खासियत यह है कि इनकी साइज व बनावट एक जैसी है। जिले में श्री महालक्ष्मीजी का मंदिर मंदसौर जिला मुख्यालय के अलावा सीतामऊ में ही स्थित है।