देवउठनी एकादशी पर बाल विवाह रोकने के लिए मध्य प्रदेश के गांवों के बच्चों की बना रहे सूची
मध्य प्रदेश में बाल विवाह पर सख्ती से रोक लगाने के लिए सरकार गांव स्तर पर 18 साल से कम उम्र की बालिकाओं और 21 साल से कम उम्र के बालकों की सूची तैयार करा रही है। यह काम आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं को सौंपा गया है।
भोपाल मध्य प्रदेश में बाल विवाह पर सख्ती से रोक लगाने के लिए सरकार गांव स्तर पर 18 साल से कम उम्र की बालिकाओं और 21 साल से कम उम्र के बालकों की सूची तैयार करा रही है। यह काम आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं को सौंपा गया है। वे दस्तावेज (जन्म प्रमाण पत्र, अंकसूची) देखकर बच्चों का डाटा तैयार करेंगी। अधिकारियों का मानना है कि इस उम्र के बच्चों का डाटा रहेगा, तो नाबालिग की शादी नहीं हो पाएगी। ऐसे मामलों को तुरंत रोका भी जा सकेगा। इस संबंध में महिला एवं बाल विकास संचालनालय के संचालक डा. रामराव भोंसले ने सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं। देवउठनी एकादशी (चार नवंबर) से वैवाहिक मुहूर्त शुरू हो रहे हैं।
कोरोना काल के बाद यह पहला मौका होगा जब बगैर किसी बंदिश के शादियां होंगी। इस बार राज्य सरकार सामूहिक विवाह कार्यक्रम भी आयोजित करेगी। इनमें नाबालिगों का विवाह होने की आशंका रहती है। इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। इसके अंतर्गत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं घर-घर जाकर जन्म से संबंधित दस्तावेज देखकर बालक एवं बालिकाओं की सूची तैयार करेंगी। आंगनबाड़ी केंद्र स्तर पर सूचना तंत्र विकसित किया जाएगा। जिसमें शिक्षक, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, स्व-सहायता समूह की सदस्य, शौर्यादल की सदस्य, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, मातृ सहयोगिनी समिति, सरपंच, पंच और पंचायत सचिव रहेंगे।कलेक्टरों से कहा गया है कि जिला और विकास खंड स्तर पर प्रिंटिंग प्रेस, हलवाई, केटर, धर्मगुरु, बैंड वाले, परिवहनकर्ता, समाज प्रमुखों और जनप्रतिनिधियों की कार्यशाला कराई जाएगी, जिसमें उनसे बाल विवाह की आशंका होने पर सेवाएं नहीं देने की अपील की जाएगी।
इसके अलावा ग्राम, विकासखंड और जिला स्तर पर बाल विवाह रोकथाम के लिए दल गठित किए जाएंगे, जो विवाह स्थल पर वर-वधु के जन्म संबंधी दस्तावेजों का परीक्षण करेंगे। आयोजकों को देना होगा शपथ पत्र: सामूहिक विवाह कार्यक्रम करने वालों को शपथ पत्र देना होगा कि वे बाल विवाह नहीं होने देंगे। वहीं, वर-वधु की उम्र के प्रमाण पत्रों का परीक्षण करने के बाद ही विवाह की अनुमति दें।