Dev Uthani Ekadashi 2022: देवउठनी एकादशी आज, घर-घर होगा तुलसी-शालिगराम का विवाह

Dev Uthani Ekadashi 2022: गन्‍ना के सजेंगे मंडल, पूजा-अर्चना के साथ आतिशबाजी भी होगी। पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि देवउठनी ग्यारस पर गौधूलि बेला में मंडप सजाकर भगवान को जगाने की रस्म की जाती है। सुंदर रंगोली सजाकर अपने आंगन या चौक में गन्नो का मंडप सजाया जाता है।

राजधानी में शुक्रवार को देवउठनी ग्यारस पर्व मनाया जाएगा। घर-घर मंडप सजाकर तुलसी व शालिगराम का विवाह किया जाएगा। इसके साथ ही भगवान लक्ष्मीनारायण को क्षीर सागर से उठाने की रस्म की जाएगी। वहीं नववर्ष में 89 दिन विवाह समारोह की शुभ तिथियां रहेंगी। पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि देवउठनी ग्यारस पर गौधूलि बेला में मंडप सजाकर भगवान को जगाने की रस्म की जाती है। सुंदर रंगोली सजाकर अपने आंगन या चौक में गन्नो का मंडप सजाया जाता है। इसके बाद तुलसी का पौधा व भगवान शालिगराम की प्रतिमा रखकर भगवान लक्ष्मीनारायण को क्षीर सागर से उठाया जाता है। उनके स्वागत में देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इसी दिन से मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाता है।

पूजन में सभी प्रकार की भाजी, बेर, सिंघाड़े, सीताफल, गन्ना, फल, मिठाई और विविध खील बताशे अर्पित किए जाते हैं। देवउठनी एकादशी से ग्रह प्रवेश, प्राण प्रतिष्ठा, मुंडन, उद्यापन आदि के कार्य शुरू करना शुभ है। वहीं देवउठनी एकादशी के एक दिन पहले गुरुवार से ही गन्नाों का बाजार सज गया है।

शुक्र का तारा रहेगा अस्त, 20 नवंबर को होगा उदय

10 जुलाई देवशयनी एकादशी से चार माह से शादियों पर विराम है। दीपावली के बाद चार नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। शुक्र अस्त होने के कारण देवउठनी एकादशी चार नवंबर से शादी के मुहूर्त नहीं रहेंगे। शादियों की शुभ तिथि दो अक्टूबर से शुक्र का तारा अस्त होने के कारण नहीं होगी। शुक्र का तारा 20 नवंबर को उदय होगा। नवंबर में शादियों की शुभ तिथि 26 से शुरू होगी। इस वर्ष नवंबर-दिसंबर में 12 दिन शादियां होंगी। 16 से दिसंबर से खरमास शुरू हो जाएगा। इस दौरान शादियां बंद रहंेगी। नए साल में शादियों की शुरुआत 14 जनवरी मकर संक्रांति के बाद होगी। 15 मार्च से 14 अप्रैल तक मीन के सूर्य खरमास के कारण शादियां बंद रहेंगी। देवशयनी एकादशी 29 जून से देवउठनी एकादशी 23 नवंबर तक चार माह के लिए फिर शादियां बंद हो जाएंगी।

विवाह समारोह की हर तिथि शुभ नहीं

ज्योतिषियों के अनुसार विवाह मुहूर्त की सभी तिथियां शुभ नहीं होती हैं। विवाह के लिए शुभ मुहूर्त लड़के का सूर्य व चंद्र बल तथा लड़की का गुरु व चंद्र बल को मिलाकर तिथियां निकाली जाती हैं।

विवाह समारोह के अबूझ मुहूर्त

देवउठनी एकादशी के बाद विवाह समारोह के अबूझ मुहूर्त भी हैं। इसमें बसंत पंचमी 26 जनवरी व भड़लिया नवमीं 27 जून को है। वर्षों बाद शिवरात्रि 18 फरवरी को परिघ व शिवयोग बनेगा। इस दिन विवाह समारोह के लिए अबूझ मुहूर्त रहेगा। इन तिथियों में बिना मुहुर्त देखे विवाह किए जा सकते हैं।

 

 

 

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