Uma Bharti: उमा भारती ने संन्‍यास दीक्षा के 30 वर्ष पूरे होने पर पारिवारिक बंधन से मुक्‍त होने का लिया संकल्‍प, कहलाएंगी ‘दीदी मां’

उमा ने आगे कहा कि पहले दो प्रश्नों के अनुकूल उत्तर गुरुजी द्वारा मिलने के बाद तीसरे प्रश्न का उनका उत्तर जटिल था। मेरे परिवार से संबंध रह सकते हैं, किंतु करुणा एवं दया। मोह या आसक्ति नहीं। साथ ही, देश के लिए राजनीति करनी पड़ेगी। राजनीति में मैं जिस भी पद पर रहूं, मुझे एवं मेरी जानकारी में सहयोगियों को रिश्वतखोरी व भ्रष्टाचार से दूर रहना होगा। इसके बाद मेरी संन्यास दीक्षा हुई। मेरा मुंडन हुआ, मैंने स्वयं का पिंडदान किया। मेरा नया नामकरण संस्कार हुआ, मैं उमा भारती की जगह उमाश्री भारती हो गई।
पारिवारिक पृष्‍ठभूमि का जिक्र
उमा ने ट्वीट्स के जरिए अपनी जाति और पारिवारिक पृष्‍ठभूमि के बारे में भी खुलकर बात की। उन्‍होंने लिखा- मैं जिस जाति, कुल व परिवार में पैदा हुई, उस पर मुझे गर्व है। मेरे निजी जीवन व राजनीति में वह मेरा आधार व सहयोगी बने रहे। हम चार भाई दो बहन थे, जिसमें से 3 का स्वर्गारोहण हुआ है। पिता गुलाब सिंह लोधी खुशहाल किसान थे। मां बेटी बाई कृष्ण भक्त सात्विक जीवन जीने वाली थीं। मैं घर में सबसे छोटी हूं। यद्यपि पिता के अधिकतर मित्र कम्युनिस्ट थे, किंतु मुझसे ठीक बड़े भाई अमृत सिंह लोधी, हर्बल सिंह जी लोधी, स्वामी प्रसाद जी लोधी और कन्हैयालाल जी लोधी सभी जनसंघ व भाजपा से मेरे राजनीति में आने से पहले ही जुड़ गए थे।
राजनीति के कारण परिजनों ने भी उठाए कष्‍ट, झूठे केस बने
उमा भारती ने लिखा- मेरे अधिकतर भतीजे बाल स्वयं सेवक हैं। मुझे गर्व है कि मेरे परिवार ने ऐसा काम नहीं किया, जिससे मेरा लज्जा से सिर झुके। इसके उल्टे उन्होंने मेरी राजनीति के कारण कष्ट उठाए। उन लोगों पर झूठे केस बने, उन्हें जेल भेजा गया। भतीजे हमेशा सहमे से व चिंतित रहे कि उनके किसी कृत्य से मेरी राजनीति ना प्रभावित हो जाए। वह मेरे लिए सहारा बने रहे। मैं उन पर बोझ बनी रही।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *