बंदूक नहीं सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएंगे नक्सली, सरकार तैयार कर रही उदार नीति

 

भोपाल/ मध्य प्रदेश सरकार नक्सलियों के समर्पण के लिए उदार नीति बना रही है। इसके अंतर्गत समर्पण वाले नक्सलियों को आवास, पुनर्वास के लिए अलग-अलग किस्तों में कुछ राशि, बच्चों की पढ़ाई की सुविधा, समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की योजना है।

पुलिस मुख्यालय ने तैयार की नीति

नक्सल विरोधी बड़े अभियान में सहयोग करने या फिर कई नक्सलियों का समर्पण कराने वाले नक्सली को नौकरी देने का भी प्रस्ताव है। पुलिस मुख्यालय ने यह नीति तैयार कर स्वीकृति के लिए शासन को भेजी है। सामाजिक न्याय विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, गृह विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग की इस नीति में अलग-अलग जिम्मेदारी है।

जल्द लागू होगी नीति

जल्द ही सभी विभागों के अधिकारियों के साथ इस नीति को लेकर बैठक होगी। उसके बाद इसके प्रारूप को अंतिम रूप मिल सकता है। इस वर्ष यह नीति लागू करने की पूरी तैयारी है। दरअसल, केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 में सभी राज्यों को एक गाइडलाइन भेजकर समर्पण नीति बनाने को कहा था। इसके पहले 2014 में भी केंद्र ने राज्यों को गाइडलाइन भेजकर समर्पण नीति बनाने को कहा था, पर अभी तक नीति नहीं बनी थी।

राज्य में नक्सल प्रभावित तीन जिले

इसके पहले 1997 में नक्सली हिंसा के शिकार लोगों के लिए जरूर एक नीति बनी थी। प्रदेश में 80 से 110 नक्सली होने की उम्मीद है। प्रदेश में नक्सल प्रभावित तीन जिले मंडला, बालाघाट और डिंडौरी हैं। तीनों में मिलाकर चिह्नित नक्सललियों की संख्या लगभग 40 है, पर वास्तव में यह आंकड़ा 80 से 110 के बीच हो सकता है इनमें ज्यादातर नक्सली मंडला और बालाघाट में हैं

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