नेपाल में सम्मान पाकर गदगद हुए साहित्यकार उद्भव साहित्यिक मंच के साहित्यकार दल ने अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव में बिखेरे भारतीय साहित्य के रंग

 

ग्वालियर/ उद्भव साहित्यिक मंच के साहित्यकारों ने नेपाल में आयोजित किए गए अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव में भारतीय साहित्य की प्रभावी प्रस्तुति दी। साथ ही उन्होंने भारतीय साहित्य के प्रचार-प्रसार का कार्य भी किया। इस दौरान विदेश की धरती पर मिले सम्मान से स्थानीय साहित्यकार गद्गद हो गए।


नेपाल के तनहुं में विगत सप्ताह दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव का आयोजन किया गया। उत्सव में आठ देशों ने भाग लिया। ग्वालियर की अंतरराष्ट्रीय संस्था उद्भव स्पोर्ट्स एंड कल्चरल एसोसिएशन की इकाई उद्भव साहित्यिक मंच के पॉंच साहित्यकारों के दल ने देश का प्रितिनिधित्व किया।
महाभारत के रचयिता वेदव्यास, नेपाल के आदिकवि भानुभक्त आचार्य एवं नेपाली गीतों एवं कविता के महान रचनाकार क्षेत्रप्रताप अधिकारी की जन्म भूमि तनहुँ में आयोजित उत्सव डॉ.सुरेन्द्र केसी के मुख्यातिथ्य एवं उद्भव के सुरेन्द्र पाल सिंह कुशवाहा के विशिष्टातिथ्य में हुआ।
इस दौरान सुरेंद्र पाल सिंह के साथ ही घनश्याम भारती, ब्रजेन्द्र पाल सिंह कुशवाहा, अशोक अचानक एवं जगदीश महामना ने काव्य पाठ के जरिए भारत और नेपाल के सांस्कृतिक संबंधों में मिठास घोलने का काम किया। साहित्यकारों की प्रभावी प्रस्तुति से विभिन्न देशों के साहित्यकार भी प्रभावित हुए। उन्होंने भारतीय साहित्य, संस्कृति और सभ्यता को समझा व जाना। उद्भव के दल ने स्थानीय लोगों से मिलकर भारतीय संस्कृति के बारे में बात की तो उन्हें नेपाली लोगों में उम्मीद से ज्यादा अपनापन देखने को मिला। भारतीय दल का नेपाल के काठमांडू, दमौली, तनहुँ और बयापानी जैसे शहरों में भव्य एवं आत्मीय स्वागत किया गया। इस स्वागत से साहित्यकार गद्गद हो गए। वतन लौटकर आए साहित्यकारों का कहना था कि अतिथि देवो भवः की भावना को नेपाल वासियों ने वास्तविक रूप से आत्मसात किया है। वे अपने मेहनमानों को इतनी आत्मीयता के साथ स्वागत-अभिनंदन करते हैं कि कुछ पल के लिए लोग भूल जाते हैं कि हम विदेश की धरती पर हैं।
साहित्यकारों के सम्मान पर संस्था के अध्यक्ष डॉ. केशव पाण्डेय एवं सचिव दीपक तोमर ने नेपाल सरकार के प्रति अभार जताने के साथ ही मंच के सभी सदस्यों को बधाई दी।

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