आने वाले चुनाव में क्या होगा सिंधिया समर्थकों का

 

मध्य प्रदेश/ सिंधिया के खास सिपहसिलारों में शामिल गौहद से पूर्व विधायक रणवीर जाटव को इस बार खाली हाथ ही रहना पड़ेगा,भिण्ड जिले की गौहद विधानसभा सीट पर अभी वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा है लेकिन यह सीट बीजेपी के गढ़ के रूप में भी मानी जाती रही है,लेकिन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास सिपाही के रूप में काम करने वाले रणवीर जाटव को इस बार महाराज टिकिट दिलवाने में नाकामयाब साबित हुए,रणवीर जाटव 2018 का चुनाव कांग्रेस के टिकिट पर जीते लेकिन जैसे ही उनके हुकुम द्वारा पार्टी बदली गई तो हुकुम के आदेश पर रणवीर जाटव ने बिना देर किए एक ही पल में कांग्रेस से स्तीफा दे दिया तथा अपना विधायकी पद भी छोड़ दिया उसके बाद श्रीमंत महाराज के कहने से महाराज के साथ ही भाजपा का दामन थाम लिया,उपचुनाव में भाजपा ने रणवीर जाटव को गौहद से प्रत्याशी बनाया चुनावी मैदान में कांग्रेस के मेवाराम जाटव ने महाराज के सिपाही को धूल चटा दी और चुनाव में परास्त कर दिया,चुनाव हारने के बाद महाराज के साथ गए पूर्व विधायकों का मन भरने के लिए उन्हें लोलीपोप के तौर पर किसी को निगम, मंडल या अन्य किसी में कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर मन भर दिया,लेकिन इस बार पूर्व विधायक रणवीर जाटव की पूरी आस महाराज की कृपा से भाजपा के टिकिट पर लगी थी जिसको कल आई भाजपा प्रत्याशियों की सूची ने निराशा में बदल दिए और गौहद विधानसभा से रणवीर जाटव का टिकिट काटकर संघ के नेता,पार्टी के समर्पित नेता पूर्व मंत्री लाल सिंह आर्य टिकिट सौप दिया,अब साफ जाहिर है कि रणवीर जाटव के हाथ से सियासी जमीन खिसक गई है पहले तो अपनी पार्टी बदलकर गद्दारी का तमगा ले चुके रणवीर जाटव के सामने अब राजनीति के लिए सियासी जमीन कहीं नजर नही आ रही है,रणवीर जाटव का टिकिट कटने से एक चीज तो साफ जाहिर हो गई है कि महाराज अब वो महाराज नही रहे जिनका कांग्रेस में ये दबदबा था कि जिस पर उंगली रख दें उसका टिकिट कांग्रेस को फाइनल ही करना पड़ता था लेकिन भाजपा में साफ नजर आ रहा है कि महाराज भाजपा वाले लोगों को सिर्फ पार्टी उन्हें ही प्रत्याशी बनाएगी जिनका सर्वे रिपोर्ट कार्ड अच्छा होगा नही तो वह अपने सर्वे के आधार पर अपनी पुरानी भाजपा के किसी नेता को ही टिकिट देगी जो सीट निकालने में सक्षम होगा।
अब देखना यह होगा कि आखिर रणवीर जाटव अब अपनी सियासी जमीन तलाशने के लिए क्या फिर को दलबदल सकते है या फिर उनके नाम के आगे हमेशा हमेशा के पूर्व ही लिखा रह जायेगा,लेकिन साफ जाहिर है कि महाराज भाजपा पर इस बार तलवार लटक रही है जिससे महाराज को भी परेशानी का सबब बनेगी,अब सवाल केवल रणवीर जाटव के राजनीति केरियर का है।

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