केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार ने शनिवार को शिल्प समागम मेले का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि शिल्पियों के जीवन को और बेहतर बनाने तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से शिल्प मेलों का आयोजन किया जा रहा है। इन मेलों के माध्यम से देश भर के शिल्पियों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों का प्रदर्शन व विक्रय की सुविधा उन्हें दिलाई जा रही है।
शिल्प मेले के उदघाटन अवसर पर क्षेत्रीय सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर बीज विकास निगम के अध्यक्ष श्री मुन्नालाल गोयल, पूर्व जिला अध्यक्ष भाजपा श्री कमल माखीजानी एवं कलेक्टर श्री अक्षय कुमार सिंह सहित विभागीय अधिकारी और बड़ी संख्या में शिल्प मेले में पधारे नागरिकगण उपस्थित थे।
केन्द्रीय मंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय वर्ष 2001 से अपने शीर्ष नियमों के माध्यम से ऋण सहायता प्राप्त अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और सफाई कर्मियों के लाभार्थियों के लिये प्रदर्शनी का आयोजन करके विपणन मंच प्रदान कर रहा है।
क्षेत्रीय सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा कि भारत सरकार की ओर से ग्वालियर में शिल्प समागम मेले का आयोजन किया गया है। मेले में देश भर के शिल्पियों ने अपने उत्पादों का प्रदर्शन और विक्रय करने का कार्य किया जा रहा है। ग्वालियर वासियों को भी इस मेले का अधिक से अधिक लाभ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिल्पियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में इस प्रकार के मेले कारगर साबित हो रहे हैं।
इस मौके पर बीज विकास निगम के अध्यक्ष श्री मुन्नालाल गोयल और कलेक्टर श्री अक्षय कुमार सिंह ने भी अपने विचार रखे।
मेले के प्रमुख उत्पादों में असम के बेंत और बांस , हस्तशिल्प और हथकरघा के उत्पाद,बिहार के हथकरघा कार्य, मधुबनी पेंटिंग्स, दिल्ली के कपड़े, गुजरात के ड्रेस मैटेरियल (गुजराती कशीदाकारी) कच्छ शिल्प मनका से बने उत्पाद, हरियाणा के ड्रेस मैटेरियल, सिले-सिलाए कपड़े, हिमाचल प्रदेश के शॉल, स्टोल जैकेट, ऑर्गेनिक हनी, अचार, चाय, जम्मू कश्मीर के आरी वर्क, सोजनी वर्क, कश्मीरी शॉल, कर्नाटक के लकड़ी के खिलौने, अगरबत्ती ,केरल के स्क्रूपिन, जल जलकुंभी उत्पाद, मध्यप्रदेश के पीतल के उत्पाद, माहेश्वरी चंदेरी, बाग प्रिंट, सूट, ड्रेस मैटेरियल, साड़ी और अचार, महाराष्ट्र चमड़े के उत्पाद, हस्तशिल्प की वस्तुएं, ड्रेस मैटेरियल, पंजाब के फुलकारी वर्क, पंजाबी जूती, ड्रेस मटेरियल, पुडुचेरी के चमड़े के उत्पाद, लकड़ी के खिलौने, सिले-सिलाए कपड़े, राजस्थान केराजस्थानी जूती, चादरें, अल्लीक वर्क, अचार, खाखरा, तमिलनाडु के वस्त्र, लकड़ी के खिलौने, त्रिपुरा जूट, बेंत एवं बांस से बने उद, झाड़ू, उत्तराखण्ड के खेस, लोई, दारी, शॉल, ड्रेसमैटेरियल, जैकेट, कुर्ता और शर्ट, उत्तर प्रदेश के लकड़ी पर नक्काशी, कपड़े का काम, सॉफ्ट टॉय, चिकन वर्क, बनारसी साड़ी, पश्चिम बंगाल के कांथा स्टिच और कट वर्क ड्रेस मटेरियल साड़ी आदि। साथ ही मेले में देश भर के स्वादिष्ट व्यंजन का स्वाद लिया जा सकता है और प्रतिदिन शाम रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आकर्षण का केंद्र बने हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने की शिल्पयों से चर्चा
केन्द्रीय मंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार ने मेले में पहुँचकर विभिन्न शिल्पियों से उनके काउण्टर पर जाकर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने शिल्पियों से उनके उत्पादों को तैयार करने में किस प्रकार की समस्यायें और उनके विक्रय में क्या दिक्कतें आ रही हैं उसके संबंध में भी विस्तार से चर्चा की।