भाजपा में मची भगदड़ से कांग्रेस नेताओं के चेहरे खिले, भाजपा के बागी बने कांग्रेस के लिए गले की हड्डी

 

धार/ मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव अब रोचक होता जा रहा है। बीजेपी ने 136 और कांग्रेस ने 229 उम्मीदवारों की सूची घोषित कर दी है। सूची जारी होते ही कांग्रेस के नेताओं में बगावत के स्वर उभरकर सामने आ गए और इस्तीफों का दौर शुरू हो गया। भाजपा में जब भगदड़ मची थी तो कांग्रेस के नेताओं के चेहरे खिल गए थे और उन्हें सत्ता नजदीक आते दिखाई दे रही थी। कांग्रेस के लिए यह दांव उल्टा पड़ गया। भाजपा के बागी उम्मीदवारो को कांग्रेस ने टिकिट दे दिए जिससे बवाल मच गया। अब कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है। हालाकि दोनों ही दलों में नाराज नेताओं के बगावत का दौर शुरू हो चुका है, किंतु कांग्रेस में अंतर कलह ज्यादा दिखाई दे रही हैं जिसे नियंत्रण करना मुश्किल हो गया है जबकि भाजपा में अनुशासन के भय से बागी ज्यादा नुकसान नहीं कर पाएंगे। बीजेपी के कई बागी कांग्रेस से टिकट हासिल करने में कामयाब हो गए है, कांग्रेस ने तीन टिकिट देने के बाद कैंसिल कर दिए गए जिससे विद्रोह शुरू हो गया।
दोनों ही दलों के मायूस बागी उम्मीदवार बीएसपी और आम आदमी पार्टी का दामन थाम रहे हैं तो कुछ निर्दलीय प्रत्याशी बनकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। यह बागी उम्मीदवार कांग्रेस के सत्ता के समीकरण बिगाड़ सकते हैं।

कांग्रेस ने दिए बागी नेताओं को टिकट

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस यानी दोनों पार्टियों से 21 बागी बड़े नेताओं के नाम सामने आ चुके हैं। बागियों को पुचकारने के मामले में कांग्रेस ने बाजी मार ली है। वहीं, कुछ ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। दतिया से भाजपा के बागी नेता अवधेश नायक को कांग्रेस ने टिकट दे दिया था विरोध प्रदर्शन व दवाब के चलते कांग्रेस ने बाद में टिकिट काटकर राजेंद्र भारती को दे दिया है। अवधेश नायक को उमा भारती का करीबी माना जाता है। जिससे भाजपा के कद्दावर उम्मीदवार डॉ नरोत्तम मिश्रा को वाक ओवर मिल गया।
इसी प्रकार ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में गए बैजनाथ यादव कांग्रेस में लौट आये है। उन्हें कांग्रेस ने कोलारस से उम्मीदवार बनाया हैं। सुरखी से नीरज शर्मा को कांग्रेस ने टिकट दिया है। सुरखी से कांग्रेस प्रत्याशी नीरज शर्मा के नेतृत्व में राहतगढ़ (सुरखी) की नगर परिषद का विलय कांग्रेस में हो गया है। बालाघाट के पूर्व सांसद बोध सिंह भगत को भी कांग्रेस ने कटंगी टिकट दे दिया है। सोमवार को पूर्व मंत्री महेंद्र बौद्ध कांग्रेस में लौट आए। पिछला चुनाव उन्होंने भांडेर से बसपा से लड़ा था। कांग्रेस ने भांडेर से फूलसिंह बरैया को टिकिट दिया है। भाजपा के एक और बागी नेता राव यादवेंद्र सिंह को कांग्रेस ने मुंगावली से टिकिट दिया है।
मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने भी पार्टी छोड़ दी है। उनका दलबदल हमेशा चर्चा में रहता है। त्रिपाठी पहले भी कांग्रेस में रह चुके हैं। पिछले दिनों उन्होंने अलग पार्टी बनाई थी और अब उनका कांग्रेस में विलय करने जा रहे हैं। बीजेपी के पूर्व मंत्री दीपक जोशी को कांग्रेस ने खातेगांव से टिकट दिया है। पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत को कांग्रेस ने बदनावर से टिकट दे दिया हैं। बदनावर में स्थानीय प्रत्याशी की मांग के चलते विरोध के स्वर उभरकर सामने आ गए और अभिषेक टिंकू बना ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और निर्दलीय चुनाव लडने की घोषणा कर दी है। वहीं धार विधानसभा क्षेत्र से कुलदीप सिंह बुंदेला व मनोज सिंह गौतम का नाम चर्चा में चल रहा था किंतु धार विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती प्रभा गौतम जो पूर्व में दो बार चुनाव हार चुकी हैं उन्हें पुनः उम्मीदवार बनाया गया है। जिससे कुलदीप सिंह बुंदेला के समर्थको में मायूसी छा हुई हैं। वह भी कांग्रेस से नाराज बताए जा रहे हैं। अब भाजपा से नीना वर्मा की उम्मीदवारी तय हो चुकी हैं। भाजपा की सूची आज आने वाली है। कोलारस से भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने भी शिवपुरी से टिकट की चाह में कांग्रेस ज्वाइन की थी लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी है।

कई नेता हैं टिकट के इंतजार में

बीजेपी नेताओं में सीधी से विधायक केदारनाथ शुक्ला और संतोष जोशी निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। इधर, रसाल सिंह ने रविवार को बसपा ज्वाइन कर ली है और सोमवार को उन्हें बीएसपी ने लहार से उम्मीदवार घोषित कर दिया है।
दूसरी तरफ कांग्रेस की बात करें तो पार्टी के 6 बागी सामने आ चुके हैं। इन्होंने बीजेपी की राह पकड़ने की बजाय या तो निर्दलीय या फिर बसपा और आप से चुनाव लड़ने का ऐलान किया हैं। कांग्रेस से धार के पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी ने इस्तीफा दे दिया है। वे निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं बदनावर से अभिषेक टिंकू बना ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है और निर्दलीय प्रत्याशी बनकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। नागौद से कांग्रेस के पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह भी बसपा से चुनाव लड़ सकते हैं। उज्जैन से कांग्रेस सांसद रहे प्रेमचंद गुड्ड आलोट से निर्दलीय लड़ने की तैयारी में है। इसी तरह उज्जैन उत्तर के दावेदार विवेक यादव ने आप की सदस्यता ले ली है। ग्वालियर ग्रामीण से दावेदार केदार कंसाना बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं।
आपको बता दें कि साल 2018 के चुनाव में दोनों पार्टियों के 30 बागी मैदान में थे। उनमें से सिर्फ 4 चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे। लेकिन बाकियों ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाकर अपनी कई सीटों पर अपनी मूल पार्टी को नुकसान किया था।

भाजपा ने बदली रणनीति, जिताऊ उम्मीदवार को दिए टिकिट

विधानसभा चुनावों में भाजपा गुजरात पैटर्न पर मध्यप्रदेश में टिकिट वितरण करना चाहती थी किंतु ऐन वक्त पर भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और सिर्फ जिताऊ उम्मीदवार को टिकिट देने का फैसला किया। इसमें उम्र का बंधन, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक के टिकिट नहीं काटे गए जिससे भाजपा में विद्रोह नहीं हुआ और ज्यादा भीतरघात भी नहीं हो सकेगा। वहीं भाजपा से बगावत करने वाले उम्मीदवारों की संख्या अधिक है। यह भाजपा के बागी नेताओं ने कांग्रेस के नेताओं के समीकरण बिगाड़ दिए और कांग्रेस में भू चाल ला दिया। भाजपा के यह बागी कांग्रेस के लिए गले की हड्डी बन गए और कांग्रेस में इस्तीफों का दौर चल पड़ा, तो कुछ कांग्रेसियों ने निर्दलीय चुनाव लडने की घोषणा कर दी। वहीं देखा जाए तो भाजपा के बागी उम्मीदवारो ने कांग्रेस ज्वॉइन करने से कांग्रेस को ज्यादा नुकसान हुआ है। भाजपा व कांग्रेस के बीच एक एक सीट को लेकर संघर्ष चल रहा है और यह बागी उम्मीदवार सत्ता के समीकरण बदलने में पर्याप्त है।

कांग्रेस के अंदर चल रहा मनमुटाव भी होगा

मध्यप्रदेश में कांग्रेस में टिकिट बंटवारे को लेकर दिग्विजय सिंह व कमलनाथ के बीच आपसी खींचतान देखने को मिली थी जिससे कांग्रेस में दो धड़े में असंतोष पनप रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ सर्वे रिपोर्ट के आधार पर टिकिट दिए हैं तो वहीं दिग्विजय सिंह अपने समर्थको को टिकिट दिलाना चाहते थे। जब विधायक दल के नेता का चयन होगा तो ये विधायको की संख्या मायने रखती हैं। दिग्विजय सिंह चाहते हैं कि उनके समर्थको की संख्या अधिक होगी तो सत्ता में अधिक भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी

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