लोकसभा चुनावों से पूर्व किसान आंदोलन को टालने के लिए केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच लगभग पांच घंटे चली बैठक लगभग बेनतीजा समाप्त हो गई। केंद्र सरकार के फसलों के एमएसपी पर सहमत न होने के कारण किसान नेताओं ने सरकार को मंगलवार सुबह दस बजे तक का वक्त दिया, और मामला न सुलझने पर दिल्ली की ओर कूच करने का ऐलान कर दिया। मीडिया से रू-ब-रू होते हुए किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के मन में खोट है और वह उनकी मांगों के प्रति गंभीर नहीं है। प्राप्त सूचना के अनुसार मैराथन बैठक के दौरान केंद्र सरकार किसानों की तीन मांगें मानने को सहमत हो गई, इसमें लखीमपुर खेड़ी हिंसा पीडि़तों को मुआवजा, किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने और बिजली अधिनियम 2020 को रद्द करना शामिल है। उधर, पंजाब और हरियाणा के 26 किसान संगठनों के 13 फरवरी के कूच को देखते हुए दिल्ली में पूरे महीने के लिए धारा 144 लागू कर दी गई है। इसके साथ ही राजधानी के सारे बार्डर सील कर दिए गए हैं। हालांकि किसानों को मनाने के लिए केंद्र सरकार ने पूरा जोर लगा दिया था और चंडीगढ़ के सेक्टर 26 स्थित मगसीपा ऑफिस में किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों की मीटिंग देर रात तक जारी रही।
सूत्रों के मुताबिक आंदोलन के दौरान किसानों और युवाओं पर दर्ज केसों को वापस लेने, लखीमपुर खीरी घटना के मृत किसानों के परिवारों को मुआवजे पर सहमति बन गई थी, जबकि बिजली एक्ट 2020 को रद्द करने पर भी सहमति के आसार बन रहे थे। हालांकि किसानों की कर्ज माफी की मांग पर केंद्रीय मंत्री चुप्पी साधे रहे। मीटिंग में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा मौजूद थे, जबकि किसानों की तरफ से जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवण सिंह पंधे