पुलिस सुरक्षा लेने वाले कारोबारी को चुकाने होंगे 2.5 करोड़ रुपये, हाईकोर्ट ने दिए आदेश

 

ग्वालियर/ जान का खतरा बताकर पुलिस सुरक्षा लेने वाले शहर के भाजपा नेता और रियल एस्टेट कारोबारी संजय शर्मा और दिलीप शर्मा को अब 2 करोड़ 55 लाख रुपये चुकाने होंगे। यह रकम उन्हें 2018 तक पुलिस के 4 गार्ड अपनी सुरक्षा में रखने के एवज में देंने होंगे।हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के जस्टिस आनंद पाठक ने इस मामले में लगी याचिका पर सुनवाई करते हुए तल्ख टिप्पणी की, उन्होंने कहा कि चंबल के बीहडों से घिरे ग्वालियर संभाग जो पहले डाकुओं और हथियारों के लिए जाना जाता था अब यहां गाड़ी पर लाल बत्ती, कंधे पर बंदूक और साथ में पुलिस को स्टेटस सिंबल बना लिया है।

जस्टिस पाठक ने संजय शर्मा और दिलीप शर्मा से पुलिस गार्ड की सुरक्षा तत्काल वापस लेने के आदेश जारी करते हुए डीजीपी और होम सेक्रेटरी को निर्देशित किया है कि इनसे फीस की राशि लगभग 2 करोड़ 55 लाख रुपये भी वसूले जाएं, इसके साथ ही हाई कोर्ट ने सख्त आदेश दिए हैं कि जब भी किसी को पुलिस सुरक्षा दी जानी हो तो पहले इस बात की पूरी जांच कर लें कि वास्तव में उसे सुरक्षा की जरूरत है भी या नहीं। जिस हिसाब से सुरक्षा की जरूरत हो उस हिसाब से एसपी से लेकर आइजी और संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति के बाद ही सुरक्षा प्रदान की जाए।

बेटे की हत्या के बाद मांगी थी सुरक्षा

महलगांव के रहने वाले दिलीप और संजय शर्मा रियल एस्टेट कारोबारी हैं। इस कारण से उन्हें कई बात धमकियां भी मिलती हैं, कुछ लोग रंगदारी मांगते हैं। इसी तरह के एक विवाद में संजय के बेटे रोहित की भी हत्या हो गई थी। 2005 में इस घटना की एफआईआर दर्ज हुई, जिसके बाद उन्होंने अपनी जान का खतरा बताते हुए पुलिस सुरक्षा की मांग की। उन्हें 4 पुलिसकर्मी दे दिए गए, जिनके लिए उन्हें रोजाना के हिसाब से भुगतान करना था। जब हत्या करने वाले आरोपितों को सजा हुई तो याचिकाकर्ताओं ने पुलिस सुरक्षा को यह कहते हुए जारी रखा कि आरोपितों में कुछ को आजीवन कारावास हुआ है तो संभव है वह उन्हें हानि पहुंचाएं। इस तरह कभी मिलती कभी हटती पुलिस सुरक्षा उनके पास बनी रही।

निजी दुश्मनी के चलते ली है सुरक्षा

इस याचिका की सुनवाई के दौरान शासन की ओर से रिप्लाई पेश करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि संजय और दिलीप शर्मा दोनों ही अपनी सुरक्षा करने में सक्षम हैं, इनके पास रिवाल्वर, रायफल सहित तीन बंदूकें हैं, लेकिन वह अपने कारोबार के चलते होने वाले प्रॉपर्टी के विवादों के चलते पुलिस सुरक्षा लिए हुए हैं। जो वास्तविक समस्या थी उसमें सभी आरोपितों को सजा हो चुकी है, इस हिसाब से उन्हें किसी तरह का खतरा नहीं है।

ट्राफी की तरह प्रदर्शित किया है

हाईकोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि यह सच है कि याचिकाकर्ताओं के परिवार के सदस्य की हत्या कर दी गई है, जिसके लिए उन्होंने सुरक्षा की मांग भी की थी और उन्हें सुरक्षा मिली भी, लेकिन यह सुरक्षा हमेशा के लिए नहीं दी जा सकती। यह सब देखकर लग रहा है कि याचिकाकर्ता इसका दुरुपयोग कर रहें है। वह पुलिस सुरक्षा को अपने निजी लाभ के लिए बतौर ट्रॉफी प्रदर्शित कर रहे हैं।

महिलाओं की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी

हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जिन चार पुलिसकर्मियों को सुरक्षा में लगाया गया है, उन्हें वहां से हटाकर उन स्थानों पर तैनात किया जा सकता था जहां महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं होती है। अगर इन पुलिसकर्मियों को वहां तैनात किया जाए जहां गर्ल्स कॉलेज हैं या कोचिंग है तो लड़कियों को शहर में इस तरह की घटनाओं से काफी राहत मिल जाएगी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *