भाजपा सरकार में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माँ, ग्वालियर राजघराने की राजमाता माधवी राजे सिंधिया ने 15 मई बुद्धवार को दुनिया को अलविदा कह दिया। ऐसे में ग्वालियर राज घराने में गम का माहौल सा छा गया बुद्धवार को उन्होंने दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली वह लम्बे समय से लंग्स की बीमारी से पीड़ित थी और पिछले दो महीनों से एम्स में भर्ती भी थीं। डॉक्टरों के मुताबिक 15 मई, बुद्धवार को सुबह हालात नाजुक होने के बाद सुबह 9 बजकर 28 मिनिट पर उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली जिसके बाद सूचना लगते ही ना सिर्फ दिल्ली समूचे पूरे मध्य प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कार्यालय से बयान में कहा गया कि “ बड़े दुःख के साथ यह साझा करना चाहते है कि राजमाता साहब नहीं रहीं। ”
70 वर्षीय राजे अपने पीछे अपार महल की संपत्ति छोड़ दुनिया को अलविदा कर गईं । वह मूल रूप से नेपाल के राज घराने में जन्मी थीं। उनके दादा जुद्ध शमशेर बहादुर नेपाल के प्रधानमंत्री थे साल 1966 में उनका विवाह ग्वालियर के महाराज माधवराव सिंधिया से हुआ था । साल 2001 को उनकी मृत्यु के बाद 23 साल बाद यानि अब उनकी पत्नी का भी निधन हो गया।
माधवी राजे की हालात नाजुक होने के बाद से ही सिंधिया परिवार लगातार उनकी देखरेख में लगा हुआ था खुद गुना से चुनाव लड़ रहे और बीजेपी के स्टार प्रचारक ज्योतिरादित्य सिंधिया कई बार प्रचार छोड़ दिल्ली में उनका हालचाल लेने पहुंचते थे । उनकी माँ के निधन पर कांग्रेस लीडर प्रियंका गाँधी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री मोहन यादव, पूर्व सीएम कमलनाथ समेत कई दिग्गज नेताओं, हस्तियों ने एक्स के माध्यम से शोक जताया है |सुबह अगले दिन उनकी पार्थिव देह फ्लाइट द्वारा ग्वालियर रवाना की गयी जहाँ सिंधिया परिवार की छतरी पर उनके पति स्वर्गीय माधव राव सिंधिया के समाधि स्थल के पास ही उनका अंतिम संस्कार मराठा रीती रिवाज के अनुसार किया गया। जिस दौरान उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख़ाग्नि दी इस बीच महाराज कहे जाने वाले और केंद्रीय मंत्री भावुक नजर आए
इससे पहले राज महल में सभी लोग राजमाता के अंतिम दर्शन करने के लिए व्याकुल दिखे वहीं उनके सम्मान में माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेले में चल रहे समर नाईट मेले की लाइट्स और साउंड को भी बंद कर दिया गया है उनके शोक श्रद्धांजलि और अंतिम यात्रा के लिए एक बड़ा जन सैलाब ग्वालियर में उमड़ा, लाखों लोगों ने उन्हें श्रधांजलि अर्पित की। देश ही नहीं विदेश से भी कई वीवीआईपी, वीआईपी लोगों का जमावड़ा महल से लेकर उनके परिवार की छतरी स्थल पर देखने को मिला। बहरहाल ग्वालियर राज घराना ही नहीं ग्वालियर वासियों की आज ऑंखें नम हो गईं,राजनीति धुरी वाले घराने में रहने के बाबजूद वह राजनीति से दूर रहीं बताया जाता है कि कांग्रेस ने उन्हें चुनाव लड़ने का ऑफर तक दिया उन्होंने उसे अस्वीकार किया। आलीशन महल की महारानी होने बाबजूद माधवीराजे साधगी मय अंदाज के लिए पहचानी जाती थी। भले ही अनेकों लोग आज भी उनसे व्यक्तिगत ना मिल पाएँ हो लेकिन माधवराव सिंधिया के प्रशंसक
उनमें उनकी आखिरी निशानी को ध्यान में रखकर उनको अंतिम श्रद्धा नमन करने जरूर पहुंचे