जिले में बाल भिक्षावृत्ति उन्मूलन अभियान जारी है। अभियान के लिये गठित दल ने सोमवार को कोटेश्वर मंदिर, अचलेश्वर मंदिर, आनंदनगर चौराहा एवं रेलवे स्टेशन क्षेत्र में भ्रमण कर सर्वेक्षण किया। इस दौरान तीन बच्चे भिक्षावृत्ति करते हुए मिले। इन बच्चो को विधिवत कार्रवाई के बाद पुनर्वास गृहों में भेजा गया है। कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने इस अभियान को पूरी संवेदनशीलता और प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने के निर्देश सभी संबंधित अधिकारियों को दिए हैं। साथ ही कहा है कि इस पुनीत अभियान में सेवाभावी नागरिकों का भी सहयोग लें।
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास श्री धीरेन्द्र सिंह जादौन ने बताया कि बाल भिक्षावृति उन्मूलन अभियान के तहत सर्वेक्षण के लिये निकले दल को अचलेश्वर मंदिर के पास 3 बच्चे भिक्षावृत्ति करते हुए मिले। इनमें 8 – 8 वर्ष के दो बालक और 7 वर्षीय एक बालिका शामिल थी। पूछताछ के दौरान पता चला कि इन बच्चों का परिवार ग्वालियर जिले के ग्राम जारगा थाना उटीला क्षेत्र का निवासी है। बच्चों के माता-पिता मजदूरी करने के लिए शहर आए हैं। मौके पर बच्चे दादी के पास थे और माता-पिता नहीं थे।
सर्वेक्षण दल द्वारा इन बच्चों के निर्धारित प्रारूप में फॉर्म भरकर तैयार किए गए। इसके बाद इन बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। समिति द्वारा बालिका को बालिका गृह में और बालक को बालक गृह में पुनर्वास के लिये भेज दिया गया है।
इसी प्रकार आनंद नगर चौराहा पर झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले ऐसे 15 परिवार मिले हैं, जहाँ के बालक बालिकाएं भिक्षावृत्ति में लिप्त हो सकते हैं। इन परिवारों के तकरीबन 20 से 25 बच्चे ऐसे हैं जिनकी उम्र 2 वर्ष से 15 वर्ष तक है। सर्वेक्षण दल ने इन सभी परिवारों को भी भिक्षावृत्ति के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी। साथ ही कहा कि वे अपने बच्चों से भिक्षावृति कदापि न कराएँ। बच्चों के पुनर्वास में जिला प्रशासन हर संभव मदद करेगा।