रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर 113 करोड़ खर्च, टेंट सिटी बसाने में लगे सबसे ज्यादा रुपये, ट्रस्ट ने पेश किया लेखा-जोखा

अयोध्या/ रामनगरी में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. इसी के साथ राम मंदिर को आम लोगों के लिए खोल दिया गया था. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन बेहद शानदार तरीके से किया गया था. इसमें देश भर की जानी-मानी हस्तियों ने हिस्सा लिया था. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कार्यक्रम में हुए खर्च का लेखा-जोखा पेश किया है. इसके अनुसार इस कार्यक्रम में कुल 113 करोड़ रुपये खर्च हुए थे
राम जन्मभूमि परिसर में 16 जनवरी से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान शुरू हुआ था. लक्ष्मीकांत दीक्षित और गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ के नेतृत्व में दक्षिण भारत समेत दिल्ली, काशी और अयोध्या के 100 से अधिक प्रमुख विद्वानों ने एक सप्ताह तक अनुष्ठान किया था. 22 जनवरी को पीएम मोदी ने मुख्य यजमान के रूप में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न कराया था. इसके बाद रामलला अपने गर्भ गृह में विराजमान हो गए

इस दौरान 45 दिवसीय मंडल उत्सव और सेवा राग उत्सव का आयोजन किया गया. इसमें राम जन्मभूमि परिसर में दक्षिण भारत से आए वैदिक आचार्य ने हिस्सा लिया. देश भर के प्रसिद्ध और नामचीन संगीत-नृत्य कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी थी. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद देश-दुनिया से आने वाली राम भक्तों को लेकर भी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में बड़ी व्यवस्था बनाई थी

देशभर से अलग-अलग तिथियां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु अयोध्या में पहुंचकर रामलला का दर्शन कर सके. इसके लिए उनके रुकने व भोजन के लिए भी व्यापक का इंतजाम किया गया था. कई स्थानों पर निशुल्क भंडारों का आयोजन कारसेवा पुरम तीर्थ क्षेत्र समेत अन्य स्थानों पर किया गया था

22 अगस्त को हुई ट्रस्ट की बैठक में प्राण प्रतिष्ठा पर हुए खर्च का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया. ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने बताया कि 113 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. इनमें स्थायी शेड व टेंट सिटी पर 35.97 करोड़, अक्षत पूजन कार्यक्रम पर 30.85 करोड़, विज्ञापन पर 21.77 करोड़, डेकोरेशन लाइटिंग पर 14.62 करोड़, अन्न पर 5.11 करोड़, पूजन-अनुष्ठान पर 1.06 करोड़, राग सेवा पर 93 लाख, लाउड स्पीकर पर 68 लाख, बिजली व्यवस्था पर 43 लाख, मंडल पूजन पर 43 लाख, यातायात व्यवस्था पर 43 लाख, अन्य तैयारियों पर 51 लाख जबकि ऑफिस की व्यवस्थाओं का 8 लाख रुपये खर्च किए गए थे

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