अगर इतिहास में जाएं तो भारत में सबसे पहले बिजली कोलकाता (तब के कलकत्ता) में आई थी. कलकत्ता में बिजली से जलने वाली लाइट का पहला डेमो 24 जुलाई 1879 को किया गया था। कोलकाता के बाद 1882 में मुंबई (बंबई) में बिजली की लाई गई.
भारत में बिजली सबसे पहले कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में आई थी:-
24 जुलाई, 1879 को पी. डब्ल्यू. फ़्लेरी एंड कंपनी ने कोलकाता में बिजली से जलने वाली लाइट का पहला डेमो किया था.
30 जून, 1881 को मैकिनन एंड मैकेंजी कंपनी की गार्डन रीच कॉटन मिल्स को 36 विद्युत लाइटों से रोशन किया गया.
1895 में कलकत्ता इलेक्ट्रिक लाइटिंग एक्ट के तहत, कलकत्ता एंड कंपनी को कलकत्ता में विद्युतीकरण का लाइसेंस मिला.
17 अप्रैल, 1899 को प्रिंसेप घाट के पास इमामबाग लेन में कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉर्पोरेशन लिमिटेड का पहला थर्मल पावर प्लांट चालू किया गया.
1905 में मुंबई में ट्रामवे को बिजली देने के लिए एक जनरेटिंग स्टेशन लगाया गया.
एशिया में पहली इलेक्ट्रिक स्ट्रीट लाइट 5 अगस्त, 1905 को बैंगलोर में जलाई गई थी.
भारत में बिजली सबसे पहले कोलकाता में आई थी:
भारत में बिजली की रोशनी का पहला प्रदर्शन 1879 के मध्य में कोलकाता में हुआ था.
1879 में ही कोलकाता में विद्युत बल्बों का प्रायोगिक प्रदर्शन भी किया गया था.
1899 में कोलकाता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉरपोरेशन (CESC) ने बिजली का उत्पादन शुरू किया था.
भारत में बिजली से जुड़ी कुछ और खास बातें:
भारत में पहली पनबिजली परियोजना दार्जिलिंग में स्थापित की गई थी. साल 1897 में सिद्रपोंग में 130 किलोवाट की क्षमता वाला यह पनबिजली संयंत्र एशिया का पहला पनबिजली संयंत्र था.
भारत में पहला जनरेटिंग स्टेशन सिद्रबोंग पावर स्टेशन था. इसकी स्थापना 1896 में दार्जिलिंग में हुई थी.
उत्तर प्रदेश के कानपुर में पहली बार बिजली साल 1906 में आई थी.
राजस्थान के डूंगरपुर में बिजली साल 1897 में आई थी.
भारत में पहला परमाणु विद्युत संयंत्र 1969 में महाराष्ट्र में स्थापित किया गया था.