तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड (टीटीडी) के नए अध्यक्ष बीआर नायडू के बयान ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। नायडू ने घोषणा की है कि तिरुमला तिरुपति मंदिर में अब केवल हिंदू कर्मचारियों की ही नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने इसे अपनी प्राथमिकता बताया और आंध्र प्रदेश सरकार के साथ इस दिशा में चर्चा की संभावना जताई।
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले का विरोध करते हुए इसे धार्मिक भेदभाव करार दिया है। ओवैसी ने वक्फ कानून में बदलाव की मोदी सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े किए, इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
ध्यान देने योग्य है कि आंध्र प्रदेश सरकार ने हाल ही में टीटीडी बोर्ड का पुनर्गठन किया, जिसमें 24 सदस्य नियुक्त किए गए हैं। तिरुमला तिरुपति मंदिर, जो विश्व के सबसे धनी मंदिरों में से एक है, पहले भी विवादों का केंद्र रहा है। इससे पहले आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने जगनमोहन रेड्डी सरकार पर आरोप लगाया था कि भगवान वेंकटेश्वर को चढ़ाए जाने वाले लड्डू प्रसादम में पशु चर्बी वाले घी का उपयोग किया गया, जो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था।
अब, बीआर नायडू द्वारा किए गए नए घोषणा के बाद इस विवाद के और बढ़ने की संभावनाएं हैं, जो आंध्र प्रदेश की राजनीतिक स्थिति को और गर्म कर सकती है।