संस्कृति, सत्य और सनातन परंपरा को बचाना अति आवश्यक –पं.घनश्याम शास्त्री जी

 

12 बीघा कॉलोनी बहोड़ापुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में सुप्रसिद्ध भागवताचार्य पं.श्री घनश्याम शास्त्री जी महाराज ने लिगानुपात में असंतुलन तथा गोसंवर्धन पर विचार दिए। कहा गर्भ में भ्रूण हत्या करने वाली मां किसी पूतना से कम नहीं। जिस सनातन प्रेमी घर में सिर्फ गाय के घी से पूजा का संकल्प लेंगे प्रयोग करेंगे उस दिन गौ संरक्षण का कार्य भी स्वत हो जाएगा शास्त्री जी ने श्रीमद् भागवत कथाज्ञान यज्ञ में पांचवे दिन कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन किया। व्यास ने कहा आज भी समाज मे पूतना मौजूद है। बेटियों की गर्भ में हत्या करने वाली मां भी किसी पूतना से कम नही। कभी भी व्यक्ति का सम्माम नही होता, उसकर ज्ञान संस्कारों ही पूजित है। कथा में कृष्ण जन्म, नंदोत्सव, महादेव का कृष्ण के बाल रूप का दर्शन, पूतना उद्धार, गोपी ज्ञान, मख्खन चोरी लीला की लीलाओं का सुंदर वर्णन किया। सुप्रसिद्ध भागवताचार्य पं.घनश्याम शास्त्री जी ने जीवन मे शिक्षा,संस्कार, धर्म के बिन जीवन पशुओं की तरह ही है शास्त्री जी कहा कि जो मनुष्य धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। किसी को अपमानित करके मनुष्य कभी महान नहीं बन सकता और सभी श्रोताओं को भक्ति का पाठ पढ़ाया आचार्य जी ने भक्ति ज्ञान वैराग्य पर चर्चा की जैसे भक्ति के बिना ज्ञान वैराग्य अधूरा है। उन्होंने धर्म और संस्कृति की रक्षा की युक्ति भी बताई संस्कृति, सत्य और सनातन परंपरा को बचाना अति आवश्यक है इसके लिए जरूरी है कि विद्यालय के साथ साथ माता पिता भी बच्चों में संस्कार पैदा करें इस मौके वीरेंद्र कुशवाहा जी, शिवनाथ भदोरिया, जी स्वदेश पटसरिया जी, अनिल भारद्वाज, कमल जादौन, पूजारी एन सी दुबे जी, अशोक गुप्ता जी,विनोद भार्गव जी, मनीष अग्रवाल जी, अशोक शर्मा जी, हेमलता बुडोलिया जी, श्याम श्रीवास्तव जी, संतोष गर्ग जी, पवन भटनागर जी, कुलदीप रायगल जी,रघुवीर गुप्ता जी उपस्थित रहे

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