पान (Betel): एंटीसेप्टिक 50 गुणों वाला पौधा,ऐसे करें देखभाल!

पान (Betel): एंटीसेप्टिक 50 गुणों वाला पौधा,ऐसे करें देखभाल!

पान (Betel): एंटीसेप्टिक 50 गुणों वाला पौधा,ऐसे करें देखभाल!

पान (Betel) एक बारहमासी बेल हैं जो दक्षिण-पूर्व एशिया में पाई जाती हैं। इसकी खेती भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड और फिलीपींस में की जाती हैं। पान (Betel) के पत्तों में एंटीसेप्टिक, एंटी-फंगल एवं एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। पान (Betel) के पत्ते सांस की समस्याओं को कम करते हैं, जोड़ों के दर्द से राहत देते हैं। पान (Betel) के पत्तों को चबाने से पाचन क्रिया बेहतर होती हैं। इसके अलावा पान के पत्तों का इस्तेमाल धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ में भी किया जाता हैं।

■ गमले में पान की बेल उगाने की विधि :-

● सही मौसम और समय
पान की बेल लगाने के लिए वसंत और मानसून सबसे सही समय होता हैं। इस समय नमी और गर्मी का संतुलन बेल की वृद्धि के लिए उपर्युक्त हैं।

● ️गमले का चयन
कम से कम 12 से 15 इंच गहरा और चौड़ा मिट्टी या प्लास्टिक का गमला लें। गमले में जल-निकासी के लिए छेद होने चाहिए ताकि अतिरिक्त पानी बाहर निकल सके।

● मिट्टी की तैयारी
पान की बेल के लिए भुरभुरी, जल-निकासी वाली और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर मिट्टी सबसे अच्छी होती हैं। इसकी मिट्टी बनाने के लिए 50% मिट्टी + 30% गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट + 20% रेत (बालू) का इस्तेमाल करें।

● ️पान की बेल कैसे लगाएपान (Betel): एंटीसेप्टिक 50 गुणों वाला पौधा,ऐसे करें देखभाल!
पान की बेल को कटिंग या तैयार पौधे के रूप में लगाया जा सकता हैं। कटिंग में 4-5 गांठें होनी चाहिए और इसे मिट्टी में 2-3 इंच गहराई में रोपें। शुरुआत में बेल को छायादार जगह पर रखें और हर दिन हल्की सिंचाई करें।

■ पान (Betel) के पौधे की देखभाल का तरीका :-

● पौधे को छायादार या अप्रत्यक्ष धूप में रखें, सीधी तेज धूप से बचाए

● ️इसकी मिट्टी को सूखने न दें, लेकिन ओवर-वाटरिंग करने से भी बचे।

● बेल को चढ़ाने के लिए लकड़ी या जाली का इस्तेमाल करें।

● पत्तियों पर हर 15 दिन में पानी का छिड़काव करें ताकि धूल हट जाये और पत्तियां हरी-भरी दिखें।

● ️हर 30 से 35 दिन में गमले की मिट्टी की गुड़ाई करके 2 मुट्ठी गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट डालें।

● महीने में एक बार नीम की खली का घोल देने से कीट-फंगस नहीं लगते।

● ️अगर पत्तियां पीली पड़ने लगें तो थोड़ा सा जैविक नाइट्रोजन खाद का इस्तेमाल करें।

● सर्दियों में बेल की वृद्धि धीमी हो जाती हैं, उस समय इसे घर के अंदर रखें, तेज हवा और ठंड से बचाएं।

● हर 1-2 साल में गमला बदल दें ताकि जड़ों को फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके।

● पौधे को घना बनाने के लिए समय-समय पर इसकी प्रूनिंग करें।

संक्षिप्त जानकारी

पान (Betel): एंटीसेप्टिक 50 गुणों वाला पौधा,ऐसे करें देखभाल!

पान (Betel) एक बारहमासी बेल है, जो मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया में पाई जाती है और भारत, श्रीलंका जैसे देशों में इसकी खेती होती है। इसके पत्तों में एंटीसेप्टिक, एंटी-फंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सांस की समस्याओं और जोड़ों के दर्द में राहत देते हैं, साथ ही पाचन क्रिया को भी बेहतर करते हैं। धार्मिक कार्यों में भी इसका महत्व है।

गमले में पान (Betel) की बेल उगाने के लिए वसंत या मानसून का मौसम उत्तम है। 12-15 इंच गहरे गमले में भुरभुरी, जल-निकासी वाली मिट्टी (50% मिट्टी, 30% गोबर खाद, 20% रेत) का उपयोग करें। कटिंग या तैयार पौधे को 2-3 इंच गहराई में रोपें और शुरुआती दिनों में छाया में रखें, हल्की सिंचाई करें।

देखभाल के लिए पौधे को अप्रत्यक्ष धूप में रखें, सीधी धूप से बचाएं। मिट्टी को सूखने न दें, लेकिन अधिक पानी न दें। बेल को चढ़ाने के लिए सहारा दें। पत्तियों को हर 15 दिन में पानी से साफ करें। हर महीने मिट्टी की गुड़ाई करके खाद डालें और महीने में एक बार नीम खली का घोल दें। पीली पत्तियों के लिए जैविक नाइट्रोजन खाद का प्रयोग करें। सर्दियों में इसे घर के अंदर रखें और हर 1-2 साल में गमला बदल दें। घनी बेल के लिए समय-समय पर प्रूनिंग करें।

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