MP में रिकॉर्ड बारिश, इंदौर-भोपाल में नहीं रहेगा जलसंकट:इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर समेत सभी डैम फुल; जानिए हमारे जीवन पर क्या पड़ेगा असर
मध्यप्रदेश में इस बार बारिश ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। MP में 1 जून से अब तक 30 इंच पानी गिरना चाहिए था, जबकि 37 इंच बारिश हो चुकी है। यह सामान्य से करीब 25% ज्यादा है। भोपाल सहित प्रदेश के 22 जिलों में सामान्य से 21% ज्यादा जबकि इंदौर समेत 22 जिलों में सामान्य बारिश हुई है।
दतिया, रीवा, सीधी, झाबुआ और आलीराजपुर में सबसे खराब स्थिति है। यहां पर सामान्य से बहुत कम पानी गिरा है। भारी बारिश से बरगी, ओंकारेश्वर, कोलार, गांधी सागर, इंदिरा सागर सहित सभी डैम लबालब हो गए हैं। इन डैम के कैचमेंट एरिया में इतनी अधिक बारिश हुई कि गेट एक महीने पहले ही खोलने पड़े।
ये डैम भोपाल, इंदौर, जबलपुर सहित कई शहरों की प्यास बुझाते हैं, इसलिए गर्मी तक इन शहरों सहित कई गांवों में वाटर सप्लाई का इंतजाम हो गया है। लाखों हेक्टेयर में फसलें भी डैम के पानी से लहलहाएंगी। डैम अब अपनी कैपेसिटी के मुताबिक बिजली पैदा कर सकेंगे। हमारे डैम, हमारे जल-धन हैं, हमारी जिंदगी पर इसका क्या असर पड़ेगा
जबलपुर में नर्मदा पर बने पहले बांध की कहानी: 16 साल में तैयार हुआ
इतिहासकार राजकुमार सिन्हा के मुताबिक 60 के दशक में नर्मदा गर्मियों में सूखकर एक लकीर सी बन जाती थी। जबलपुर सहित आसपास के जिलों में गर्मी में पेयजल और सिंचाई की बड़ी समस्या थी। इसके समाधान के लिए केंद्रीय जल और विद्युत आयोग ने 1968 में 2,980 वर्ग किमी में सिंचाई और 100 मेगावाट (2×45 मेगावाट + 2×5 मेगावाट) बिजली पैदा करने के लिए बरगी डैम के निर्माण का प्रपोजल तैयार किया था। बांध निर्माण 1974 में शुरू हुआ और 1990 में पूरा हुआ। आज भी रीवा तक नहर विस्तार का काम चल रहा है।
डैम पूरा भरने के तीन फायदे
- पीने के पानी का संकट खत्म : जबलपुर को 210 एमडी पानी की सप्लाई होती है। बरेला, सिहोरा, भेड़ाघाट में भी नर्मदा जल पहुंचाया जा रहा है। इस बार इन शहरों में अगले साल तक सप्लाई की कोई दिक्कत नहीं होगी।
- सिंचाई का एरिया बढ़ेगा : बरगी बांध का कैचमेंट काफी बड़ा है। अमूमन हर साल ये क्षमता के अनुसार भर जाता है। इस बार अधिक बारिश के चलते अगस्त में ही यह भर चुका है। रबी सीजन के अलावा गर्मी में मूंग-उड़द की सिंचाई के लिए भी पर्याप्त पानी मिल पाएगा। बरगी दायीं तट योजना से कुल सिंचाई क्षमता बढ़कर 4.20 लाख हेक्टेयर हो गई। इस बार पूरा क्षेत्र कवर हो जाएगा।
- रबी में भी बिजली उत्पादन : रबी सीजन में बिजली की डिमांड बढ़ने पर बिजली उत्पादन भी हो सकेगा। अभी बारिश के चलते रोज 14 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है।
ये भी होगा: डैम से वर्तमान में लगभग 95 टन मछली उत्पादन होता है। रॉयल्टी के तौर पर सरकार को एक करोड़ रुपए मिलते हैं। वहीं मछुआरा समिति को पारिश्रमिक के तौर पर दो करोड़ रुपए मिलेंगे।
हत्या से 8 दिन पहले इंदिरा गांधी ने डैम की रखी थी नींव
नर्मदा नदी पर बने इस डैम की नींव इंदिरा गांधी ने अपनी मौत से 8 दिन पहले 23 अक्टूबर 1984 में रखी थी। खंडवा जिला मुख्यालय से 61 किमी दूर इस बांध का निर्माण महाराष्ट्र के भंडारा, नागपुर व चांदपुर जिलों के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की सप्लाई और बिजली उत्पादन के लिए किया था। इस डैम से MP के 26 प्रतिशत हिस्सों की सिंचाई होती है। बांध से 24,865 किमी मुख्य नहर निकली है। इससे 169 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती है। 74 मिलियन घनमीटर पेयजल की आपूर्ति से खंडवा के ग्रामीण क्षेत्रों की प्यास बुझाई जाती है।
अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी आधारशिला
इंदिरा सागर से छोड़े गए पानी को स्टोर करने के लिए इस डैम का निर्माण 2003 में शुरू हुआ था। 30 अगस्त 2003 को अटल बिहारी वाजपेयी ने इसकी आधारशिला रखी थी। यह बांध भगवान शिव के प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर के मंदिर से ठीक पहले ओंकारेश्वर द्वीप के पूर्वी सिरे के निकट बना है। इसके निर्माण से खंडवा और देवास के 30 गांव विस्थापित हुए थे।