इस वर्ष ये विशेष दिन 3 सितंबर 2022 को मनाया जाएगा। इस संतान सप्तमी को ललिता सप्तमी, अपराजिता सप्तमी और मुक्ताभरण सप्तमी के रूप में भी मनाया जाता है।
ज्योतिषाचार्य सौरभ दुबे ने बताया, संतान सप्तमी व्रत हमारे अपने बच्चों की लंबी उम्र और कल्याण के लिए मनाया जाता है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, इसे पुरुष बच्चे का आशीर्वाद भी माना जाता है। संतान सप्तमी व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है लेकिन ये अक्सर माता और पिता दोनों द्वारा बच्चों की खुशी और सफलता के लिए मनाया जाता है।
संतान सप्तमी 2022 तिथि :-
3 सितंबर 2022 दिन शनिवार को संतान सप्तमी का व्रत एवं त्यौहार देश भर में मनाया जाएगा।
सप्तमी तिथि प्रारंभ :-
सप्तमी तिथि 2 सितंबर 2022 दिन शुक्रवार को दोपहर 11:00 पर प्रारंभ होगी। तीन सितंबर 2022 शनिवार को प्रातः 9:15 पर समाप्त होगी।
पूजा अनुष्ठान कैसे करें
– जल्दी स्नान कर साफ कपड़े पहनकर ही पूजा शुरू करनी चाहिए।
पूजा स्थल को साफ करें, लकड़ी के चबूतरे पर लाल कपड़ा बिछाएं।
– भगवान शिव, देवी पार्वती और भगवान विष्णु से प्रार्थना करें।
– परिवार के साथ भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
– पानी से भरा कलश मुंह पर रखकर आम के पत्तों को ढंककर रख दें। इसके ऊपर नारियल लगाएं।
– दीया जलाएं और फूल, अक्षत, पान, सुपारी और नैवेद्य चढ़ाएं।
भगवान शिव को लाल मौली (लाल पवित्र धागा) चढ़ाएं. पूजा के बाद इस धागे को बच्चे की कलाई पर बांधें।
– संकल्प लें, संतान सप्तमी व्रत का पालन करने का संकल्प लें।
– खीर-पुरी का प्रसाद और आटे और गुड़ से बने मीठे पुए का भोग लगाया जाता है।
– केले के पत्ते पर बंधी हुई सात पुए को पूजा स्थल पर चढ़ाकर रखा जाता है।
– संतान सप्तमी व्रत कथा का पाठ करें।
पूजा ज्यादा से ज्यादा दोपहर तक पूरी कर लेनी चाहिए।
– आरती, भोग के बाद व्रत का समापन होता है।
– ब्राह्मण को सात पुए दिए जाते हैं और पुए खाने से ही व्रत टूटता है।