Bhopal Health News: डेढ़ महीना और लग जाएगा काटजू अस्पताल में प्रसव की सुविधा शुरू होने में

काटजू अस्पताल में अब तक न तो नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) बन पाई है और न ही माड्युलर आपरेशन थियेटर तैयार हो पाए।

भोपाल  काटजू अस्पताल में जुलाई से प्रसव की सुविधा शुरू करने के निर्देश स्वास्थ्य आयुक्त डा. सुदाम खाड़े ने जून में दिए थे, लेकिन हालत यह है कि अभी यहां न तो नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) बन पाई है और न ही न ही माड्युलर आपरेशन थियेटर तैयार हो पाए हैं। सिविल कार्य स्वास्थ्य विभाग के इंजीनियरिंग खंड को करना था, जो नहीं हो पाया है। उधर, शुक्रवार को अस्पताल का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे स्वास्थ्य विभाग के एसीएस मो. सुलेमान अस्पताल ने यहां के अधीक्षक डा. आरपी पटेल का तबादला सीहोर कर दिया है। एसीएस की नाराजगी इस कारण थी कि अधीक्षक ने अस्पताल अभी तक शुरू नहीं कराया, जबकि हकीकत यह है कि अस्पताल शुरू करने की स्थिति में ही नहीं है।

बता दें कि पहले यह सिविल अस्पताल था। अब मातृ एवं शिशु अस्पताल बनाया गया है। यहां पर 20 बिस्तर का एसएनसीयू और 30 बिस्तर का प्रसूति आइसीयू है। प्रसूति आइसीयू बन भी गया है, लेकिन इसके लिए डाक्टर और अन्य स्टाफ ही नहीं है। इसी तरह लेबर रूम बन गया है, लेकिन यहां के लिए भी डाक्टर, नर्स और अन्य स्टाफ नहीं है। अभी सिर्फ एक साधारण ओटी तैयार हो पाया है। अस्पताल के लिए 35 डाक्टरों की जरूरत है, लेकिन अभी सिर्फ आठ हैं। अस्पताल पूरी तरह से तैयार होने के बाद जेपी अस्पताल का प्रसूति रोग विभाग भी यहां पर शिफ्ट किया जाएगा।
शिशु रोग विशेषज्ञों ने सीखा नवजातों में सांस लेने की दिक्कत का इलाज

 

 

भोपाल। गांधी मेडिकल कालेज भोपाल के शिशु रोग विभाग में एडवांस नियोनेटल रिससिटेशन प्रोग्राम (एनआरपी) का आयोजन किया गया। इसमें 42 शिशु रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस कोर्स के समन्वयक और हमीदिया अस्पताल में शिशु रोग विभाग के प्राध्यापक डा. राजेश टिक्कस ने बताया जन्म लेने वाले नवजातों में से 90 प्रतिशत को किसी तरह से श्वसन संबंधी दिक्कत नहीं होती। नौ प्रतिशत को बेसिक और एक प्रतिशत को एडवांस एनआरपी की आवश्यकता होती है। इसमें नवजात की श्वसन संबंधी दिक्कत को बिना दवाओं के भौतिक तरीके से कुछ क्रियाओं के जरिए ठीक किया जाता है। बता दें कि जुड़वा बच्चे होने के साथ अन्य कारणों के जन्म लेने के तुरंत बाद कुछ नवजातों को सांस लेने की तकलीफ होती है। सागर के मेडिकल कालेज के पूर्व डीन डा. एके रावत ने एक पुतला के जरिए शिशु रोग विशेषज्ञों को एनआरपी के बारे में बताया। शिशु रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डा. ज्योत्सना श्रीवास्तव ने बताया कि नेशनल नियोनेटल फोरम, शिशु रोग विभाग और इंडियन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक की मदद से यह कोर्स आयोजित किया

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