पोषण आहार में गड़बड़ी:कहां हैं साढ़े 12 लाख बेटियां..? स्कूल शिक्षा और महिला बाल विकास के आंकड़ों में बड़ा अंतर
पोषण आहार में गड़बड़ी को लेकर कैग की रिपोर्ट का मामला मंगलवार को कैबिनेट बैठक में उठा। महिला एवं बाल विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक शाह ने मंत्रियों को बताया कि एजी ने जितने भी मुद्दे उठाए हैं, उनके जवाब बनाए जा रहे हैं। यह भी कहा कि ट्रकों के नंबर बाइक या स्कूटर के बताए जाने की बात है तो टीएचआर सप्लाई के दौरान तीन जगह वाहनों के नंबर दर्ज होते हैं।
इनमें से किसी एक जगह की गड़बड़ी को रेखांकित किया गया है। शाह की सफाई के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी मंत्रियों से कहा कि वे इस मामले में पूछे जाने पर प्रमुखता से बात रखें। बैठक के बाद शाह ने तुरंत अधिकारियों को बुलाकर जवाब की मशक्कत शुरू की।
पोषण आहार में गड़बड़ी पर कैग के खुलासे के बीच भास्कर की पड़ताल में बड़ी विसंगति सामने आई है। जिन स्कूली छात्राओं में यह टीएचआर (टेक हाेम राशन) बंटना है, उसके आंकड़े ही स्पष्ट नहीं हैं। स्कूल शिक्षा विभाग की संख्या के मुकाबले महिला एवं बाल विकास विभाग (डब्ल्यूसीडी) के आंकड़े बीस गुना से भी अधिक हैं।
स्कूल छोड़ने वाली 11 से 14 साल की बच्चियों के दोनों विभागों के सात साल के आंकड़ों में साढ़े बारह लाख का अंतर है। 2019-20 में ही डब्ल्यूसीडी ऐसी बालिकाओं की संख्या 2.17 लाख बता रहा है, जबकि स्कूल शिक्षा विभाग के समग्र शिक्षा अभियान सर्वे में यह आंकड़ा सिर्फ 8680 है।
इस अंतर पर राष्ट्रीय बाल आयोग ने भी संज्ञान लिया है और राज्य सरकार से वास्तविक शाला त्यागी (स्कूल छोड़ने वाली) बालिकाओं की जानकारी मांगी है ताकि उन्हें ब्रिज कोर्स के जरिए पढ़ाई करवाकर मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।
कलेक्टरों से मंगाई बच्चियों की जानकारी
2015 से 2022 के बीच 13 लाख 39 हजार 098 बालिकाओं को राशन दिया गया, जबकि समग्र शिक्षा अभियान के सर्वे में शाला त्यागी बालिकाओं की संख्या 82493 रही। यानी दोनों विभागों के बीच अंतर 12 लाख 56 हजार 605 है।
इन बच्चियों की जानकारी कलेक्टरों के माध्यम से अब बुलवाई गई है। इधर, डब्ल्यूसीडी ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को बताया है कि 11-14 वर्ष की स्कूल छोड़ने वाली 2.17 लाख बालिकाओं में से 1.17 लाख बालिकाओं को आंगनबाड़ी केंद्रों से सुविधाएं दी जा रही हंै।
33 ट्रकों के नंबरों में लिपिकीय त्रुटि: एमडी
एजी की रिपोर्ट के बाद एमपी एग्रो ने उसके अधीन बाड़ी प्लांट का तीन साल का प्रारंभिक परीक्षण कराया। एग्रो के एमडी राजीव जैन का कहना है कि तीन साल में 1764 ट्रकों से पोषण आहार सप्लाई हुई। एजी ने 34 पर सवाल खड़े किए कि ये ऑटो, टैंकर, टू-व्हीलर के नंबर हैं।
इन 34 में एक के नंबर एजी ने ही गलत लिखे, 33 में लिपिकीय त्रुटि है। एग्रो ने ट्रांसपोर्ट फर्मों से वेरिफाई किया है। अक्टूबर 2019 में एक ऑटो से विदिशा की आंगनबाड़ी में 650 किलो टीएचआर की सप्लाई की गई थी। जैन ने कहा, कई स्तरों पर नंबर दर्ज होते हैं।
सारंग बोले- खराब गुणवत्ता पर 35 करोड़ का पेमेंट रोका
कैग की टेक होम राशन की रिपोर्ट पर सरकार ने भी अपना पक्ष रखा है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने इसको लेकर उठे विवाद के बाद कहा है कि अभी यह प्रारंभिक रिपोर्ट है। फाइनल नहीं है। सारंग ने कहा कि टीएचआर गुणवत्ता को लेकर सवाल उठे है लेकिन उस समय कांग्रेस की सरकार थी।
भाजपा सरकार ने खराब गुणवत्ता पर 35 करोड़ का भुगतान रोक दिया है। प्लांट की क्षमता पर आपत्ति में भी कोई सत्यता नहीं है। उन्होंने कहा कि टीएचआर में 2 लाख की बजाय बच्चियों की वास्तविक संख्या के हिसाब से 15 हजार को ही पोषण आहार दिया जा रहा है।