Sharad Purnima 2022: शरद पूर्णिमा पर होती है अमृत की वर्षा, लक्ष्मी जी काे लगाएं खीर का भाेग

शरद पूर्णिमा तिथि 9 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 10 अक्टूबर को सुबह 2 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय समय शाम 5 बजकर 58 मिनट रहेगा।

हिंदू पंचांग के अनुसार साल में 12 पूर्णिमा आती है, जिसमें शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 9 अक्टूबर को मनेगी। सिर्फ शरद पूर्णिमा पर ही चांद अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है।

शरद पूर्णिमा शुभ मुहूर्तः अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी कि शरद पूर्णिमा तिथि 9 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 10 अक्टूबर को सुबह 2 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय समय शाम 5 बजकर 58 मिनट रहेगा। शरद पूर्णिमा पर चांद पृथ्वी के सबसे करीब होता है और चारों दिशाओं में चंद्रमा की राेशनी फैली हुई होती है।

चंद्रमा से होगी अमृत की वर्षाः मान्यता है कि इस रात चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत के समान होती हैं। शरद पूर्णिमा काे कोजागरी और रास पूर्णिमा भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात आसमान से अमृत की वर्षा होती है, इसलिए रात में खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखने का विधान है। मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाया जाता है। शरद पूर्णिमा पर ही श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। शरद पूर्णिमा का व्रत रखने और इस रात मां लक्ष्मी का विशेष पूजन करने से सभी मनोरथ पूरे होते हैं। कहा जाता है कि इस रात चंद्रमा की किरणें औषधीय गुणों से परिपूर्ण होती है, मान्यता है कि जिस पर ये किरणें पड़ जाएं, उसके गंभोर रोग समाप्त हो जाते हैं। इस दिन रात में मां लक्ष्मी भ्रमण पर निकलती हैं और जो शरद पूर्णिमा की रात भगवान विष्णु- मां लक्ष्मी की सच्चे मन से आराधना करता है, उसे अपार धन और वैभव का आशीर्वाद मिलता है।

 

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