Lumpy Skin Disease: गायों को लंपी से बचाने रोज बना रहे दो क्विंटल औषधीय लड्डू, मंदिरों से हो रहा वितरण
मंदिरों में इन लड्डुओं को जागरुकता अभियान के अंतर्गत रखा गया है। मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु जब प्रसाद लेते हैं, तो उन्हें प्रसाद के साथ ही एक लड्डू दिया जाता है और कहा जाता है कि इसे गाय को खिला दें।
Lumpy Skin Disease: प्रदेश की सबसे बड़ी ग्वालियर की आदर्श गोशाला लाल टिपारा में गोवंश को जानलेवा लंपी वायरस से बचाने के लिए नेक पहल की गई है। यहां गुड़, अजवाइन, मैथी, हल्दी, काली मिर्च, गिलोय, बाजरा, लोंग जैसी औषधीय सामग्री से प्रतिदिन दो क्विंटल लड्डू तैयार किए जा रहे हैं। इन्हें मंदिरों के माध्यम से वितरित किया जा रहा है, ताकि गोवंश को वायरस से बचाया जा सके।
गोशाला प्रबंधन के अनुसार यह वायरस कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली गायों पर नकारात्मक असर करता है। ठीक उसी प्रकार जैसे मनुष्यों पर कोरोना का असर हुआ था। औषधीय सामग्री से निर्मित इन लड्डू से गायों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
यही कारण है कि गोशाला में अभी तक एक भी गाय इस रोग से ग्रसित नहीं हुई है। इन पौष्टिक लड्डुओं को तैयार करने के लिए प्रतिदिन सवा क्विंटल बाजरा, 40 किलो गुड़ सहित अन्य सामग्री को अनुपातानुसार मिलाया जा रहा है। तैयार लड्डुओं को 15 समितियों के 200 से अधिक कार्यकर्ता तैयार कर शहर में गायों को खिलाते हैं, साथ ही मंदिरों से भी इन लड्डुओं का वितरण किया जा रहा है।
आर्दश गोशाला लाल टिपारा के स्वामी ऋषभानंद महाराज का कहना है कि मंदिरों में इन लड्डुओं को जागरुकता अभियान के अंतर्गत रखा गया है। मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु जब प्रसाद लेते हैं, तो उन्हें प्रसाद के साथ ही एक लड्डू दिया जाता है और कहा जाता है कि इसे गाय को खिला दें।
श्रद्धा से जुड़ाव के कारण लोग इन लड्डुओं को गायों को खिला देते हैं। इससे गायों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है और उन पर लंपी वायरस का असर नहीं होता है। इसके अलावा इस कार्य में कालेजों के छात्र-छात्राओं की भी सहायता ली जा रही है, ताकि वे अपने घरों के आसपास घूमने वाली गायों को यह लड्डू खिलाएं। जिन गायों पर लंपी वायरस का असर हुआ है, उन्हें भी प्रतिदिन ये लड्डू खिलाने से बीमारी जल्द खत्म हो रही है और गाय स्वस्थ हो रहीं हैं।
क्या है लंपी वायरस-
पशु चिकित्सक डा. जीएस दुबे का कहना है- लंपी वायरस का प्रकोप देश के कई राज्यों में फैला हुआ है। लंपी स्किन डिजीज जिसे पशु चेचक भी कहते हैं। यह एक वायरल बीमारी है जो कैपरी पाक्स वायरस से फैलती है। कैपरी वायरस से बकरियों में गोट पाक्स नाम की बीमारी फैलती है और भेड़ों में सीप पाक्स तथा गायों में लंपी स्किन डिजीज नाम की बीमारी फैलती है। इसमें सबसे पहले गाय को बुखार आता है और एक या दो दिन बाद गाय की त्वचा पर बहुत सारे गोल दाने उभर जाते हैं। गाय के शरीर पर लटकती हुई सूजन दिखाई देती है, मानो पानी के भरे हुए गुब्बारे लटक रहे हो। गाय के सारे शरीर पर सूजन आ जाती है। इस सूजन को हाथ से अनुभव किया जा सकता है। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली गायों की इस बीमारी के चलते मृत्यु भी हो जाती है।
ऐसे ही घर में तैयार कर सकते हैं लड्डू-
स्वामी ऋषभानंद महाराज बताते हैं- औषधीय लड्डू को तैयार करने की विधि भी बहुत आसान है। इसमें 10 ग्राम सौंठ चूर्ण, ढाई ग्राम काली मिर्च, 15 ग्राम हल्दी पाउडर, 10 ग्राम बड़ी पीपल, 10 ग्राम मैथीदाना, 10 ग्राम अजवाइन, 20 ग्राम गिलोय चूर्ण और 100 ग्राम गुड़ मिलाकर इन लड्डुओं को तैयार किया जा सकता है। आमतौर पर ये सामग्री हर घर में होती है और अधिकतर घरों में गायों के लिए रोटी निकाली जाती है।