सिद्ध पीठ मां काली का दरबार पटियाला पंजाब, रियासत के राजाओं ने बनवाया मंदिर: बंगाल से लाई गई पावन ज्योति, आज भी चढ़ाए जाते बकरे, मुर्गे व शराब

पटियाला में स्थित प्राचीन व एतिहासिक व प्रसिद्ध श्री काली देवी मंदिर को पटियाला रियासत के महाराजा भूपिंदर सिंह ने 1936 में बनवाया था इसी मंदिर में विराजमान रियासत की कुलदेवी मां राज राजेश्वरी का मंदिर मां काली देवी के पीछे है पटियाला शहर के माल रोड पर स्थित प्राचीन व एतिहासिक व प्रसिद्ध श्री काली देवी मंदिर को पटियाला रियासत के महाराजा भूपिंदर सिंह ने 1936 में बनवाया था भले मंदिर का नींवपत्थर उन्होंने रखा लेकिन मंदिर को पूरा करने का काम महाराजा कर्म सिंह ने किया। मंदिर में पटियाला रियासत की कुलदेवी मां राज राजेशवरी के साथ साथ छह फीट उंची मां काली देवी जी की मूर्ति स्थापित है उस समय माता श्री काली देवी जी की मूर्ति का मुख शहर के बाहर की तरफ यानी बारांदरी गार्डन की तरफ रखा गया जैसे-जैसे शहर के बाहरी हिस्सों में यानी बारांदरी की तरफ आबादी बढ़ ती गई तो देवी मां की नजरों के प्रभाव से उनको बचाने के लिए मंदिर में दीवार कर दी गई इसी मंदिर में विराजमान रियासत की कुलदेवी मां राज राजेश्वरी का मंदिर मां काली देवी के पीछे है
मंदिर का इतिहास
श्री काली देवी जी का मंदिर करीब 86 वर्ष पुराना हो चला है यहां पर केवल पटियाला शहर, पंजाब बल्कि देशभर से भक्त माथा टेकने आते हैं यहां पर स्थापित मां काली देवी जी की मूर्ति कलकत्ता से खास तौर पर लाई गई और यहां पर जलने वाली ज्योति बंगाल से लाई गई जो आज भी अखंड तौर पर जल रही है  शराब, बकरे व मुर्गे भी चढ़ते हैं  इसके अलावा कड़ाह प्रसाद व मीठा पान का भी मां के चरणों में भोग लगाया जाता है

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