विश्व की प्राचीन धरोहर सतखंडा महल दतिया में भगवान गणेश, मां दुर्गा के मंदिर के साथ दरगाह भी मौजूद

दतिया का सतखंडा महल अपनी अनूठी कला के लिए प्रसिद्ध है  महल का निर्माण 1620 में हुआ था और इसमें किसी लकड़ी या लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया लेकिन यह अब भी अडिग खड़ा है

भारत में कई ऐतिहासिक महल, किला या इमारते हैं, जो अपने भीतर वास्तुकला की अद्भुत रचनाओं को समेटे हुए है  यही कारण ही इन्हें भारत की प्राचीन धरोहर कहा जाता है
बात करें मध्य प्रदेश की तो यह देश का ऐसा राज्य है, जहां कई आलीशान महलें और किला है  इन महलों की अद्भुत कलाकृति देखने देश विदेश से लोग यहां आते हैं, ऐसे कई जिले भी हैं, जिनसे गौरवशाली अतीत भी जुड़ा हुआ है  इन्हीं में एक है दतिया जिले का सतखंडा महल, यह महल अपनी अद्भुत कला के प्रतीक के लिए प्रसिद्ध है  साथ ही इस महल से कई रोचक बातें भी जुड़ी हुई है
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि, 7 मंजिला खूबसूरत दतिया के सतखंडा महल के निर्माण में किसी प्रकार की लकड़ी या लोहे आदि का प्रयोग नहीं किया  इसके बावजूद यह इतने सालों में आज भी अडिग खड़ा है, साथ ही यह 7 मंजिला खूबसूरत महल सिर्फ एक रात के लिए इस्तेमाल किया गया था यानी एक दिन अलावा इसमें कभी भी कोई ठहरा नहीं
सतखंडा महल का इतिहास

मुगल शासक अकबर की मृत्यु के बाद उसके बेटे सलीम युवराज बने  युवराज बनने के दौरान सलीम ने अपना नाम बदलकर जहांगीर कर लिया, बीर सिंह देव के जहांगीर पर कई एहसान थे  इसलिए जहांगीर ने उसे ओरछा के सिंहासन पर बैठा दिया  इसके कुछ साल बाद जहांगीर ने अपने पुराने मित्र मिलने की घोषणा करते हुए अपने साम्राज्य में 52 इमारतों के निर्माण स्थान के लिए हरी झंडी दे दी, जिसमें एक दतिया स्थान भी था. दतिया को उन्होंने बीर सिंह देव को उपहार स्वरूप दिया था  इसलिए दतिया के सतखंडा महल को ‘सतखंडा महल’ और ‘बीर सिंह देव महल’ के नाम से भी जाना जाता है
क्यों वीरान पड़ा रहा खूबसूरत दतिया का सतखंडा महल

बीर सिंह देव को दतिया स्थान उपहार स्वरूप मिला था, इसलिए स्वयं बीर सिंह देव या उसके परिवार वालों ने इस महल का कभी प्रयोग नहीं किया  लेकिन एक बार शंहशाह महल में आए और ओरछा जाने से पहले एक रात इस महल में रुके थे  ऐसे में सतखंडा महल सालों से विरान पड़ा है और एक रात के अलावा इसे किसी ने आज तक इस्तेमाल नहीं किया
दतिया के सतखंडा महल से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें

सतखंडा महल का निर्माण बुंदेला राजा बीर सिंह देव द्वारा 1620 में कराया गया था
सतखंडा महल को तैयार होने में लगभग 9 साल का समय लगा था और इसमें करीब 35 लाख रुपये खर्च हुए थे
सतखंडा महल 7 मंजिला है, जिसमें 2 मंजिला इमारत जमीन के नीचे और 5 मंजिला जमीन के ऊपर है
7 मंजिला होने के कारण इसे सतखंडा महल कहा जाता है, इसके अलावा इसे पुराना महल, बीर सिंह देव महल और गोविन्द महल आदि जैसे नामों से भी जाना जाता है
सात मंजिला सतखंडा का निर्माण केवल ईंट और पत्थरों द्वारा किया गया है  इसमें किसी तरह की लकड़ी या धातु का प्रयोग नहीं किया गया है  इसके बावजूद यह अबतक खड़ी है
सतखंडा महल में करीब 440 कमरे हैं और हर जगह आंगन या चबूतरा बना है  परिसर मे भगवान गणेश और मां दुर्गा के मंदिर के साथ ही दरगाह भी है

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