ग्वालियर से लगभग 40 से 50 किलोमीटर दूर स्थित नलकेश्वर महादेव नाम से विख्यात मंदिर लगभग 800 साल प्राचीन है। एवं सोनचिरैया अभ्यारण में चारों जंगलों के बीच स्थित है। यहां हमेशा गोमुख से गंगा की तरह पवित्र एवं स्वच्छ जल झरने के रूप में बहता रहता है और ग्रामीण इसी से भगवान नलकेश्वर महादेव का जलाभिषेक करते हैं। बुजुर्गों की माने तो यहां पर महान तपस्वी गालव ऋषि ने भी तपस्या की थी।
मंदिर कैसे बनाया गया या किसने यहां पर नलकेऊ महादेव की स्थापना की है इसका कोई भी प्रमाण इतिहास के पन्नों में दर्ज नहीं है।
लेकिन इस प्राकृतिक गोमुख काजल वहां स्थित शिवलिंग पर बूंद बूंद कर टपकता है जो कि इस मंदिर की अलग ही पहचान कराता है कि मानो साक्षात गंगा मैया स्वयं महादेव का जलाभिषेक कर रही हो। यहां आस-पास रहने वाले ग्रामीणों की मानें तो यहां आने वाले हर भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है और यहां बड़े से बड़े विवाद का हल हो जाता है।
होने के कारण यह अक्सर कई शाकाहारी एवं मांसाहारी जंगली जानवर भी दिखाई देते हैं लेकिन जंगली जानवरों ने कभी भी किसी भी वक्त को अभी तक कोई भी हानि नहीं पहुंचाई है।
यही भी अपने आप में एक चमत्कार से कम नहीं है।
इस पर ग्रामीणों का कहना है कि यह सब भगवान भोलेनाथ का चमत्कार है।,
नलकेश्वर महादेव एवं गौमुख तक जाने का रास्ता बहुत ही कठिन था पहले नाव से तिघरा जलाशय में सफर करके जंगल तक पहुंचना पड़ता था उसके बाद जंगल में लगभग 6 7 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। यह रास्ता खतरों से भरा हुआ था क्योंकि यहां पर जंगली जानवर जैसे शेर तेंदुए सांप बहुत ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं। इस कारण बहुत कम पर्यटक इस स्थान तक पहुंच नहीं पाते थे। लेकिन जो भी कोई पर्यटक इस खतरे को उठाकर यह पूछता था तो वह यहां की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर हैरान रह जाता था। इस घने जंगल के पास मैं ही एक राई गांव बसा था। जहां की स्त्रियां अक्सर गौमुख से पानी भरकर अपने गांव ले जाया करती थी।
जानकारों की माने तो राजाशाही शासनकाल में राजा मानसिंह अपनी सेना के साथ इस घने जंगल में शिकार के लिए आए थे। तभी इस जंगल के पास ही बसे राई गांव की एक स्त्री जिसका नाम मृगनैनी गुर्जर था, जिस समय राजा मानसिंह शिकार के निकले थे तभी उनको इस गोमुख से पानी भर कर जाती हुई एक महिला जो अपने सर पर पानी की खेप रखी हुई जा रही थी उसी रास्ते में दो,आपस में लड़ रहे थे, लेकिन मृगनैनी ने रास्ते में बीचोबीच लड़ रहे दो…….
को अपने हाथों से, बिना अपनी पानी की खेप को नीचे रखते हुए बीच में से फाड़ कर, आगे बढ़ गई तभी राजा तभी राजा मानसिंह ने निश्चय किया कि जो स्त्री इतनी बलवान हो सकती है कि सिंहों को फाड़कर रास्ता बना ले, अगर उस रानी से उत्पन्न होने वाली संतान कितनी शक्तिशाली होंगी।
तब राजा मानसिंह को मृगनैनी से विवाह करने का मन हुआ। तो उन्होंने उनके घर जाकर विवाह का प्रस्ताव रखा। तब मृगनैनी ने विवाह करने की तीन शर्त रखी।
1. गुर्जर महारानी ने राजा मानसिंह से पहली शर्त रखी थी कि वह इसी गोमुख का पानी पियेगी।
इसके बाद राजा मानसिंह ने गौमुख से पानी को ग्वालियर किला महल तक पाइप लाइन के द्वारा पानी को लाया गया इसके बाद ही मृगनैनी ने राजा मानसिंह से शादी की।
2. दूसरी शर्त यह थी कि उनके लिए किले में अलग से महल का निर्माण कराया जाय।
नलकेश्वर महादेव के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने के लिए तीन रास्ते हैं
1. तिघरा बांध सेनाओं में चलकर राई गांव तक पहुंच कर लगभग 3 किलोमीटर पैदल यात्रा कर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
2. तिघरा बांध के सामने से कैथा गांव वाले रास्ते से चार पहिया वाहन से पहुंचा जा सकता है।
3. बड़े गांव के रास्ते से भी नलकेश्वर महादेव तक चार पहिया वाहन से पहुंचा जा सकता है।