गरिमा वैश्य अपने पौधों की देखभाल बच्चों की तरह करती हैं प्रकृति के प्रति समर्पित गरिमा का प्रयास अतुलनीय कलेक्टर श्री सिंह एवं संत कृपाल सिंह ने देखा टेरिस गार्डन

 

ग्वालियर। ग्वालियर के हृदय स्थल महाराज बाड़े के समीप अपने घर को ही उद्यान बनाकर हजारों की संख्या में पौधरोपण करने वाली सुश्री गरिमा वैश्य का प्रकृति प्रेम देखकर लोग आश्चर्य चकित हैं। घर की 14 छतों पर विभिन्न प्रकार के सब्जी, फल, फूल उगाकर गरिमा ने यह साबित कर दिया है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है। अपने घर में लगे पौधों की देखभाल भी सुश्री गरिमा ऐसे करती हैं जैसे लोग अपने बच्चों की करते हैं।
कलेक्टर श्री अक्षय कुमार सिंह को जब टेरिस गार्डन की प्रशंसा सुनने को मिली तो वे अपने आपको रोक नहीं पाए और पहुँच गए गरिमा वैश्य के प्रयासों को देखने। उन्होंने घर में ही इतने व्यवस्थित और बहु संख्या में फल, फूल और सब्जी के पौधों को देखकर न केवल आश्चर्य चकित हुए बल्कि गरिमा वैश्य की लगन और प्रकृति प्रेम पर उन्होंने भूरि-भूरि प्रशंसा की। उनके साथ संत कृपाल सिंह भी उपस्थित थे।
कलेक्टर श्री अक्षय कुमार सिंह ने गरिमा वैश्य के पूरे आवास में भ्रमण कर उनके द्वारा लगाए गए विभिन्न प्रजातियों के पौधों को देखा और उसके रखरखाव के संबंध में विस्तार से जानकारी ली। सुश्री गरिमा ने बताया कि वे अपने माता-पिता से प्रेरित होकर पिछले कई वर्षों से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य कर रही हैं। अपने घर में ही छतों पर विभिन्न प्रकार के पौधे लगाकर उनकी देखभाल पूरी निष्ठा से कर रही हैं। आज उसके निवास पर एक हजार से अधिक विभिन्न प्रजातियों के पौधे सुरक्षित हैं और लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।
कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग जैसे खतरे को भांपते हुए पूरे देश में लोग प्रकृति के स्वाभाविक स्वरूप को लौटाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में ग्वालियर की गरिमा वैश्य का यह सार्थक प्रयास हम सबके लिये प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर में अन्य लोग भी इनसे प्रेरणा लेकर इस प्रकार के कार्य करें, इसके लिये हम सब प्रयास करेंगे। कलेक्टर ने यह भी आश्वस्त किया कि शासन-प्रशासन की ओर से भी सुश्री गरिमा वैश्य का सहयोग लेकर शहर के अन्य स्थानों पर भी इस तरह के गार्डन तैयार किए जायेंगे।
कलेक्टर श्री अक्षय कुमार सिंह एवं संत कृपाल सिंह ने इस मौके पर सुश्री गरिमा वैश्य के साथ पेड़-पौधों की देखरेख कर रहे समर्पित व्यक्तियों का शॉल-श्रीफल भेंट कर सम्मान किया।

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