केआरजी कालेज में पर्यावरणीय तनाव और इसके प्रबंधन विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

 

शासकीय कमलाराजा कन्या स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, ग्वालियर के प्राणीशास्त्र विभाग में विश्व बैंक परियोजना एमपीएचआईक्यूआईपी के अंतर्गत् अकादमिक उत्कृष्टता के लिये ‘‘एन्वार्यमेंटल स्ट्रेस एवं इट्स मैनेजमेंट’’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ।
संगोष्ठी का उद्घाटन सत्र महाविद्यालय के विधि भवन के मूट-कोर्ट में आयोजित हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में डॉ0 आर0 आर0 कन्हेरे (पूर्व कुलपति भोज मुक्त विश्वविद्यालय एवं प्रति-कुलपति, इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय एवं अध्यक्ष-प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति, भोपाल), अध्यक्ष के रूप में क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक उच्चशिक्षा ग्वालियर-चंबल संभाग डॉ0 कुमार रतनम, विशिष्ट अतिथि श्रीमती मीना सचान (अध्यक्ष, जनभागीदारी समिति), डॉ. उषा सिंह, पूर्व प्राचार्य, डॉ0 डी0 आर खन्ना, सेवानिवृत्त आचार्य, गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार उपस्थित रहे। अन्य मंचासीन अतिथियों में संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ0 उत्तम शर्मा, आचार्य गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार, डॉ. म.आर. कौशल, अकादमिक सचिव डॉ. संजय स्वर्णकार, संयोजक डॉ. आर.के. दुबे शामिल रहे। उद्घाटन सत्र में मंचासीन अतिथियों द्वारा सेमीनार संक्षेपिका का विमोचन किया गया।
डॉ. आर.आर. कन्हेरे ने अपने उद्बोधन में कहा कि किस प्रकार से वर्तमान में पर्यावरण एवं प्रबंधन के क्षेत्र में तकनीकी एवं वैज्ञानिक उपायों का समायोजन कर पर्यावरण में होने वाले तनाव को कम किया जा सकता है।
मुख्य वक्ता डॉ. उत्तम शर्मा द्वारा बताया कि पर्यावरण में होने वाले तनाव जो कि प्राकृतिक एवं मानव जनित दोनों प्रकार से होते हैं साथ ही बढ़ती जनसंख्या व शहरीकरण भी पर्यावरणीय स्ट्रेस के कारण हो सकते हैं!
डॉ कुमार रतनम ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि उपभोगवादी संस्कृति पर्यावरण तथा प्रकृति के साथ हो रही छेड़छाड़़ का मुख्य कारण है
कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव डॉ0 आर0के माहौर द्वारा किया गया तथा आभार प्रदर्शन सहसचिव डॉ0 अर्चना दुबे ने किया।
उद्घाटन सत्र के उपरांत आयोजित किये गये तकनीकी सत्र में 30 शोधपत्रों का वाचन किया गया। संगोष्ठी के प्रथम तकनीकी सत्र में अध्यक्षता डॉ डी आर खन्ना ने की तथा आमंत्रित वक्ता के रूप में डॉ. अमित कुमार सेंट्रल विश्वविद्यालय तमिलनाडु द्वारा यह कहा गया कि सवालों में तनाव उत्प्रेरित कर ज्यादा से ज्यादा द्वितीय मेटाबॉलिट्स का उत्पादन किया जा सकता है जिसको व्यवसायिक कर कई कंपनियों में दवाइयों के तौर पर उपयोग में लाया जा सकता है।

इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राणी शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राजेंद्र कुमार दुबे,वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ शक्ति भारद्वाज, डॉ अर्चना दुबे, डॉ प्रीति मौर्य,डॉ. मोहित आर्य, डॉ संतोष कुमार यादव, डॉ स्मिता श्रीवास्तव, डॉ अमित बरसाना सहित महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापक एवं बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहेस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश सहित भारत के विभिन्न प्रदेशों से पधारे विषय विशेषज्ञ उपस्थित रहे कार्यक्रम में भारतीय स्टेट बैंक द्वारा प्रायोजित सहयोग प्रदान किया गया।

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