ग्वालियर – वर्षों पूर्व अपनों से बिछड़े दो लोगों को जिला प्रशासन की एक
पहल ने उनके घर वालों से मिला दिया। जिले के डबरा कस्बे में एक सेवाभावी संस्था द्वारा
“अपना घर आश्रम” संचालित है। इसमें यह संस्था ऐसे बेसहारा लोगों को आश्रय देती है जो न
तो किसी से मदद मांगते हैं और असहाय अवस्था में कस्बे की सड़कों, बाजारों व बस स्टैण्डों पर
दिखाई देते हैं। आश्रम में इन लोगों को संस्था द्वारा प्रभुजी के नाम से संबोधित किया जाता है।
“अपना घर आश्रम” में इस संस्था द्वारा दानिश उर्फ कर्मचंद व देवेन्द्र उर्फ देवांश को
आश्रय दिया था। दोनों यह बताने में असमर्थ थे कि वे कहां के रहने वाले हैं। वर्तमान में इस
संस्था में लगभग एक सैंकड़ा प्रभुजी निवासरत हैं।
कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने आश्रम में रह रहे सभी लोगों के आधारकार्ड व
आयुष्मान कार्ड बनाने के निर्देश दिए थे। जिसके तहत जब दानिश व देवेन्द्र के आधारकार्ड
बनाने की कार्रवाई की गई तो पोर्टल पर दोनों के आवेदन रिजैक्ट हो गए। कारण यह था कि
इन दोनों के आधारकार्ड पहले से ही बने हुए थे। इस आधार पर पता चला कि दानिश उर्फ
कर्मचंद पिछले 6 साल से लापता हैं। वे उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद शहर के निवासी हैं। इसी तरह
बैतूल निवासी देवेन्द्र उर्फ देवांश लगभग 3 साल से लापता थे। इन दोनों के घर वालों ने लाख
जतन किए पर इन्हें ढूँढ नहीं पाए। ग्वालियर जिला प्रशासन द्वारा की गई आधारकार्ड बनाने
की पहल ने इन दोनों के परिजनों की समस्या हल कर दी। पहले से ही बने आधारकार्ड के
आधार पर इनका पता खोजकर दोनों के परिजनों को सूचित किया गया कि दानिश व देवेन्द्र
सुरक्षित हैं व डबरा के “अपना घर आश्रम” में रह रहे हैं।
बुधवार को दोनों के घरवाले डबरा पहुँचे और एसडीएम श्री दिव्यांशु चौधरी व
तहसीलदार श्री दिव्यदर्शन शर्मा एवं अपना घर आश्रम के सेवादारों की मौजूदगी में दानिश व
देवेन्द्र से मिले। वर्षों बाद अपने परिजनों को पाकर सभी की आंखें छलक आईं। अब दानिश व
देवेन्द्र खुशी-खुशी अपने घर जा रहे हैं।