*फौजी पहने 11 मुखी रुद्राक्ष, छुड़ा देगा दुश्मनों के छक्के ,बताया 14 प्रकार के रुद्राक्ष का महत्व
* शिवलोक फूलबाग में शिवमहापुराण कथा में श्रोताओं की उमड़ रही भीड़
कौशिक महाराज ने कहा , “सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं”
ग्वालियर – सत्य से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है।सत्य बोलना कठिन है पर असंभव नहीं है। सत्य परेशान हो सकता है,पराजित नहीं हो सकता है। इसके साथ ही मोन से मानसिक विकार दूर होते हैं और 14 रुद्राक्ष की महिमा और महत्व के बारे में श्री कौशिक जी महाराज ने शिवलोक फूलबाग मैदान में चल रही शिवमहापुराण कथा के पांचवे दिन कथा में विस्तार से यह जानकारी दी। इससे पहले कथा संयोजक एवं विधायक डॉ.सतीश सिकरवार ने व्यास पीठ का पूजन कर आरती की ।
कथा के प्रारंभ में उन्होंने कहा कि भगवान शिव के नेत्रों से उत्पन्न हुए हर रुद्राक्ष की महिमा इतनी अपंरपार है कि यह मनुष्य की जिंदगी बदल सकते हैं। देश के हर फौजी को 11 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, ऐसा करने से वह दुश्मनों के छक्के छुड़ा देगा और हनुमान जी की तरह दुश्मन को जलाकर विजयश्री प्राप्त करेगा,लेकिन यह तभी प्रभावकारी होगा जब वह मांसाहार एवं मदिरापान से दूर हो ।
विश्व जागरण सेवा संघ द्वारा आयोजित शिवमहापुराण कथा में उन्होंने कहा कि जर्सी गाय का दूध कैंसर पैदा कर रहा है, जिसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया में जर्सी गाय को प्रतिबंधित कर दिया गया है,वहीं देशी गाय की ऐसी महिमा हैं कि उसके घी से हवन करने से देवता भी ऋणी हो जाते हैं। जहां तक यज्ञ का धुंआ जाता है, वहां तक सभी का कल्याण हो जाता है।
उन्होंने कहा कि जिन चीजों का भगवान का भोग नहीं लगता, उन्हें खाने से बचना चाहिए,क्योंकि उक्त पदार्थो से मन तामसी होता है। किस रुद्राक्ष का क्या फल एक मुखी -रुद्राक्ष की महिमा का बखान करते हुए उन्होंने बताया कि गाय और रुद्राक्ष भगवान के मुख से प्रकट हुए हैं। एक मुखी रुद्राक्ष साक्षात् शिव का स्वरूप है।
रुद्राक्ष का एक दाना पहनने के बाद किसी भी स्थिति में उतारने की जरूरत नहीं है। दो मुखी-यदि जीव हत्या का दोष समाप्त कर देता है, जो पायलेट या ड्राइवर हैं, उनकी सुरक्षा करता है। तीन मुखी-शिक्षक और विद्यार्थियों के लिए वरदान हैं। इसे पहनने से बच्चे जो भी पढ़ते हैं, उन्हें एक बार में याद हो जाता है।
चार मुखी-गर्भवती नारी यदि धारण कर लें, तो गर्भस्थ शिशु के सुरक्षा कवच का काम करता है। इससे धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। पांच मुखी- हर दिन चातुर्मास व्रत का फल प्राप्त होता है। असाध्य बीमारी नहीं होती। लकवा, हाटअटेक, कुष्ठरोग से बचाता है। वायपास सर्जरी वाले को इसका पानी पिलाने से लाभ होता है। नशा छुड़ा देता है।
दिमाग संतुलित रखता है। यहां तक कि पर परस्त्री गमन का पाप कट जाता है। छह मुखी-दायनी भुजा में पहनने से विवाह योग्य युवतियों का जन्मपत्री दोष समपात् हो जाता है। गुप्तरोग में लाभकारी है। जबरन विवाह रुक जाता है। सात मुखी- दरिद्रता एश्वर्य में बदल जाती है। काम मेें व्यवधान नहीं होता है।
दरिद्रता सबसे बड़ा दुख और संतों का सानिध्य सबसे बड़ा सुख होता है। इससे पहनने से व्यक्ति में ईश्वरीय गुण आने लगते हैं। आत्महत्या का विचार नहीं आता है। 8मुखी-मृत्यु के समय कष्ट नहीं होता है, इसलिए जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके बुजुर्गों को जरूर पहनाना चाहिए। नौ मुखी रुद्राक्ष की मालकिन मां दुर्गा हैं।
इसे पहनने से हर रोज दुर्गा सप्तसती के पाठ का फल मिलता है। बेटियों को अच्छा वर मिलता है। पति पुत्र की उम्र बढ़ती है। दस मुखी-यह विष्णु स्वरूप है। इसे पहनने से अपने भंडार में कभी कमी नहीं होती है। यह सभी कामनाओं की पूर्ति करता है। 11मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से दुश्मन के छक्के छुड़ाने के लिए सैनिक को इसे पहनना चाहिए।
12 मुखी रुद्राक्ष पहनने से वयक्ति विद्वान होता है क्योंकि यह सूर्य देवता का प्रतीक है और इसके मालिक सूर्यभगवान हैं। 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से पति की आयु दीर्घ होती है,इसे महिलाओं को धारण करना चाहिए। महिलाएं सौभाग्यवती रहतीं हैं। 14 मुखी रुद्राक्ष को मस्तिष्क पर धारण किया जाता है। साधना और सिद्धि में किसी प्रकार का विघ्न नहीं पड़ता है।
महाराज जी ने मौन की महिमा बताते हुए उन्होंने कहा कि एकादशी व्रत में कम से कम चार घंटे मौन जरूर रहना चाहिए। मौन से मानसिक विकार दूर होते हैं और कभी सिरदर्द जैसी समस्या उत्पन्न नहीं होती है। इस मौके पर कथा परीक्षत नरेंद्र शर्मा, पं रामदेव शास्त्री, मनीष शर्मा, महेंद्र शुक्ला, उमेश उप्पल, राम पांडे, रामबाबू अग्रवाल, दिनेश पाराशर सहित हजारों श्रद्धालु श्रेता मौजूद रहे।
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