भिंड@श्री1008 महावीर कीर्तिस्तंभ मंदिर में चले रहे चातुर्मास के दौरान 35 दिवसीय णमोकर जिनस्तुति विधान के आज पांचवे दिन रविवार को परम् पूज्य गुरुदेव प्रशांत मूर्ति श्रमण मुनि श्री 108 विनय सागर जी गुरुदेव के सानिध्य में इंद्रो ने पीले वस्त्रों में भगवान जिनेंद्र का कलशो की जल धरा से जिन अभिषेक जयकारों के साथ कराया। वही मुनिश्री ने अपने मुखारबिंद मंत्रो से भगवान जिनेंद्र की बृहद शांतिधारा कराई।
णमोकर जिनस्तुति विधान में अष्ट द्रव्य से किया पूजन, समर्पित करें महा अर्घ्य
मुनिश्री के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि मुनिश्री विनय सागर महाराज एवं क्षुल्लक श्री विधेय सागर महाराज के सानिध्य में णमोकर जिनस्तुति विधान में मंत्रो का उच्चारण कर भगवान जिनेंद्र का पूजन संगीतकार विशाल जैन के भजनों पर भक्ति नृत्य के साथ अष्ट द्रव्य से पूजा के साथ महा अर्घ्य विधान के मंडप पर समर्पित करें। वहीं भजनों पर भगवान जिनेंद्र की भक्ति इंद्रा इंद्राणिय झूमते हुए की। मुनिश्री के प्रवचन प्रतिदिन प्रात: 09 बजे से महावीर कीर्ति स्तंभ पर होगे।
संसार के सारे सुख चेन आपके पुण्य से ही मिलते है -:मुनिश्री विनय सागर
मुनि श्री ने बताया कि नवकार मंत्र की शुरुआत है णमो से। साधना की सर्वसिद्धि के लिए जिस पहले गुण की आवश्यकता है, वह है नमन। नवकार मंत्र के जाप से अधोमुखी बुद्धि ऊर्ध्वमुखी बनती है, इच्छा की पूर्ति ही नहीं इच्छा का ही अभाव हो जाता है और जिसमें इच्छा का अभाव है, वह जगत का सम्राट है। मुनि श्री ने कहा कि यह मंत्र प्राकृत भाषा में लिखा गया है। इस मंत्र में संसार की ऐसी पवित्र आत्माओं को नमस्कार किया गया है जिन्होंने संसार के मोह जाल को छोड़ दिया और आत्मा साधना पर लग कर अपना और दूसरे जीवों का कल्याण करने में लग गए। वह आत्माएं अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु परमेष्टि की है। इन पवित्र आत्माओं का चिंतन करने से अशुभ कर्म नष्ट हो जाते। पुण्य का संचय होता है वह पुण्य ही सुख देने वाला होता है। संसार के सारे सुख चेन आपके पुण्य से ही मिलते है।
णमोकार मंत्र में कुल 58 मात्राएं, 35 अक्षर, 34 स्वर, 30 व्यंजन और 5 पद हैं।
णमोकार मंत्र का मर्मज्ञ बताते हुए मुनिश्री ने आगे कहा कि वर्तमान में आचार्य, उपाध्याय और साधु परमेष्ठी के साक्षात दर्शन होते तथा अरिहंत और सिद्ध भगवान की प्रतिमा का दर्शन होता है। णमोकार मंत्र 18432 अलग अलग भाषाओं में बोल सकते है। इस मंत्र का सब से छोटा रूप ओम है जिसमें पांचो परमेष्ठी गर्भित है। णमोकार मंत्र में कुल 58 मात्राएं, 35 अक्षर, 34 स्वर, 30 व्यंजन और 5 पद हैं। आठ करोड़ आठ लाख आठ हजार आठ सौ आठ बार लगातार णमोकार मंत्र का जाप करने से शाश्वत सुख की प्राप्ति होती है और लगातार सात लाख जाप से कष्टों का नाश होता है। लगातार एक लाख जाप धूप के साथ करने से मन की मनोकामना पूर्ण होती है। महामंत्र में जैन पूर्ण द्वादशांग गर्भित है